नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने वीवीपैट मशीन की पर्चियों के ईवीएम के वोट से सौ फीसदी मिलान के लिए दायर याचिकाओं पर बुधवार को फिर सुनवाई की। हालांकि अदालत ने खुद ही कहा कि वह दोबारा सुनवाई नहीं कर रही है, बल्कि कुछ मुद्दों पर उसे स्पष्टीकरण चाहिए था। बुधवार को इस मामले पर करीब 40 मिनट की सुनवाई के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया। गौरतलब है कि अदालत ने 18 अप्रैल को इस मामले पर सुनवाई पूरी करके फैसला सुरक्षित रख लिया था। बुधवार को इस मामले में फैसला आना था लेकिन बुधवार को कुछ निश्चित बिंदुओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की।
जस्टिस संजीव खन्ना ने बुधवार को कहा- हम मेरिट पर दोबारा सुनवाई नहीं कर रहे हैं। हम कुछ निश्चित स्पष्टीकरण चाहते हैं। हमारे कुछ सवाल थे और हमें जवाब मिल गए। फैसला सुरक्षित रख रहे हैं। इस मामले में बुधवार को 40 मिनट सुनवाई चली। इस मामले में याचिकाकर्ताओं की तरफ से एडवोकेट प्रशांत भूषण, गोपाल शंकरनारायण और संजय हेगड़े पैरवी कर रहे हैं। प्रशांत किशोर एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी एडीआर की तरफ से वकील हैं। वहीं, चुनाव आयोग की ओर से एडवोकेट मनिंदर सिंह और केंद्र सरकार की ओर सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता मौजूद रहे।
गौरतलब है कि 18 अप्रैल को जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने पांच घंटे वकीलों और चुनाव आयोग की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा था कि क्या वोटिंग के बाद मतदाताओं को वीवीपैट से निकली पर्ची नहीं दी जा सकती है। इस पर चुनाव आयोग ने कहा था- मतदाताओं को वीवीपैट पर्ची देने में बहुत बड़ा जोखिम है। इससे वोट की गोपनीयता से समझौता होगा और बूथ के बाहर इसका दुरुपयोग किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल दूसरे लोग कैसे कर सकते हैं, हम नहीं कह सकते।