कोलकाता। आखिरकार पश्चिम बंगाल पुलिस ने कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश पर अमल किया। उच्च अदालत के आदेश के 26 घंटे के बाद बंगाल पुलिस ने संदेशखाली की हिंसा के आरोपी शेख शाहजहां को सीबीआई के हवाले कर दिया। मंगलवार को शेख की हिरासत लेने में विफल रहने के बाद केंद्रीय जांच एजेंसी की एक टीम बुधवार को दोपहर पौने चार बजे के करीब भवानी भवन पुलिस मुख्यालय पहुंची थी। इसके बाद तकनीकी प्रक्रिया पूरी करने के बाद शाम साढ़े छह बजे के करीब सीबीआई को शेख शाहजहां की हिरासत मिली।
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हिरासत में लेने के बाद सीबीआई की टीम शेख शाहजहां को मेडिकल टेस्ट कराने ले गई। गुरुवार से उससे पूछताछ शुरू की जाएगी। बुधवार को बंगाल पुलिस की सीआईडी ने शेख को सीबीआई के सुपुर्द करने से पहले उसका मेडिकल टेस्ट कराया था। इससे पहले मंगलवार को हाई कोर्ट ने साढ़े चार बजे शाम तक बंगाल पुलिस को शाहजहां को सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया था। तब पुलिस ने कहा था कि मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में है। इसलिए शाहजहां को सौंप नहीं सकते। इसके बाद सीबीआई दो घंटे के इंतजार के बाद लौट गई थी।
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बुधवार को हाई कोर्ट के दोबारा दखल के बाद पुलिस ने उसकी हिरासत सौंपी। गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में पांच जनवरी को प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की टीम तृणमूल कांग्रेस के आपराधिक छवि के नेता शेख शाहजहां के घर छापा मारने पहुंची थी। इस दौरान शेख के समर्थकों ने टीम पर जानलेवा हमला किया था। इसमें कई अधिकारी घायल हुए थे। हाई कोर्ट ने इसकी जांच के लिए एसआईटी बनाई थी लेकिन मंगलवार को खुद हाई कोर्ट ने एसआईटी वाले आदेश के बदल दिया और जांच सीबीआई को सौंप दी।
राज्य सरकार ने शाहजहां को सीबीआई को सौंपने के हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ मंगलवार की शाम को ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। इस पर बुधवार सुबह 11 बजे सुनवाई हुई। लेकिन सर्वोच्च अदालत ने फौरन सुनवाई से इनकार दिया। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना ने बंगाल सरकार से कहा कि वे उसका आवेदन चीफ जस्टिस को भेज रहे हैं और वे ही याचिका को सूचीबद्ध करने पर फैसला करेंगे।
असल में बंगाल सरकार ईडी टीम पर हमले की जांच सीबीआई से कराने पर रोक की मांग कर रही है। बंगाल सरकार ने याचिका में कहा कि इस मामले की जांच एसआईटी कर रही है। पुलिस पर निराधार आरोप लगाए जा रहे हैं। इससे पहले कलकत्ता हाई कोर्ट ने अपने फैसले में बंगाल पुलिस पर तीखी टिप्पणी की थी और यह भी कहा था कि वह जांच में पक्षपात करती प्रतीत हो रही है।
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