SemiconIndia Conference:- विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को कहा कि भारत का सेमीकंडक्टर अभियान केवल घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए नहीं है, बल्कि इसका लक्ष्य भरोसेमंद विनिर्माण के लिए वैश्विक मांग को पूरा करने में सहयोग देना भी है।
जयशंकर ने एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए दुनिया भर की अग्रणी सेमीकंडक्टर कंपनियों के शीर्ष कार्यकारी अधिकारियों से कहा कि उनके निर्णयों तथा संबंधों के निहितार्थ तात्कालिक कारोबार से परे हैं और वैश्विक अर्थव्यवस्था की ‘री- इंजनीयरिंग’ में योगदान दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि भरोसा तथा पारदर्शिता डिजिटल क्षेत्र के भविष्य में अहम मुद्दों के रूप में उभर कर सामने आई है और ऐसे प्रश्न कि ‘‘हमारा डेटा कौन संसाधित करता है और कौन उसका फायदा लेता है’ कृत्रिम मेघा की इस दुनिया में बेहद अहम है।
विदेश मंत्री ने कहा, वास्तव में हम अब बुनियादी विनिर्माण और रोजमर्रा की वस्तुओं तथा सेवाओं को भी उनके डेटा निहितार्थ से अलग नहीं कर सकते। उन्होंने अहम प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भारत के लक्ष्य और रुख पर भी विस्तार से जानकारी दी। विदेश मंत्री ने कहा, हमारा सेमीकंडक्टर अभियान केवल घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए नहीं है, बल्कि इसका लक्ष्य भरोसेमंद विनिर्माण के लिए वैश्विक मांग को पूरा करने में सहयोग देना भी है। यह ‘मेक इन इंडिया’ और ‘मेक फॉर वर्ल्ड’ का सशक्त उदाहरण है।’
गुजरात के गांधीनगर में ‘सेमीकॉनइंडिया कॉन्फ्रेंस 2023’ को वर्चुअल तरीके से संबोधित करते हुए जयशंकर ने अमेरिका के साथ महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भारत के बढ़ते सहयोग का भी जिक्र किया। साथ ही उन्होंने सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला तथा नवोन्मेषी साझेदारी पर एक समझौता ज्ञापन का जिक्र किया जो मार्च में अमेरिकी वाणिज्य मंत्री जीना एम रायमोंडो की नयी दिल्ली यात्रा के दौरान हुआ था। उन्होंने कहा, ‘‘इसमें एक सहयोगात्मक तंत्र स्थापित करने की बात है जो अमेरिका के ‘चिप्स एवं विज्ञान अधिनियम’ तथा भारत के सेमीकंडक्टर मिशन के उत्पाद सहयोग को प्रदर्शित करेंगे।’’ (भाषा)