नई दिल्ली। राम जन्मभूमि विवाद में फैसला सुनाने वाले सुप्रीम कोर्ट के पांचों जजों को अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता दिया गया है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से पांचों जजों को न्योता भेजा गया है। मौजूदा चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा फैसला सुनाने वाले बाकी चारों जज रिटायर हो गए हैं। फैसला सुनाने वाली बेंच के अध्यक्ष चीफ जस्टिस रंजन गोगोई थे। उनके अलावा जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर उस बेंच में शामिल थे। बाद में जस्टिस बोबड़े और जस्टिस चंद्रचूड़ चीफ जस्टिस बने।
बहरहाल, बताया जा रहा है कि रिटायर और मौजूदा जजों औऱ वरिष्ठ वकीलों सहित 50 से अधिक न्यायविद् राम मंदिर उद्घाटन समारोह में शामिल हो सकते हैं। आमंत्रितों में सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता और पूर्व अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल भी शामिल हैं। गौरतलब है कि नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर विवाद में फैसला सुनाया था।
एक हजार से ज्यादा पन्नों के फैसले में अदालत ने कहा था- …संभावनाओं के संतुलन पर, हिंदुओं के स्वामित्व के दावे के सबूत… मुसलमानों द्वारा दिए गए सबूतों की तुलना में बेहतर स्थिति में हैं। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ का उपयुक्त भूखंड दिया जाए। फैसला सुनाने वाली बेंच के प्रमुख तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई अब राज्यसभा सांसद हैं, उन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा नामित किया गया था।