नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा को सलाह दी है कि वे राज्यसभा के सभापति से बिना शर्त माफी मांग लें। चड्ढा ने राज्यसभा से निलंबन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इस पर सुनवाई के दौरान पहले अदालत ने कहा था कि सदस्यों का अनिश्चितकाल तक के लिए निलंबन चिंताजनक बात है। लेकिन शुक्रवार को अदालत ने इस मामले में राघव चड्ढा को राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ से मिलकर बिना शर्त माफी मांगने को कहा।
सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही यह भी कहा कि सभापति सहानुभूतिपूर्वक विचार करेंगे और मामले को आगे बढ़ाएंगे। मामले की अगली सुनवाई दिवाली की छुट्टियों के बाद 20 नवंबर को तय की गई है। अदालत ने अटॉर्नी जनरल से इस मामले में आगे के घटनाक्रम की जानकारी देने को कहा है। शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा- हमें ये ध्यान रखना चाहिए कि राघव चड्ढा कम उम्र के और पहली बार के सांसद हैं। वे बिना शर्त माफी मांग लेंगे। ऐसे में इस मुद्दे को खत्म कर देना चाहिए।
शुक्रवार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई तो चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा- आपने बिना शर्त माफी की बात कही थी। बेहतर होगा कि आप सभापति से समय लेकर उनसे मिलें। उनकी सुविधा के मुताबिक, आप उनके घर, दफ्तर या सदन में माफी मांग लें, क्योंकि यह सदन और उप राष्ट्रपति सह राज्यसभा सभापति की गरिमा का मामला है। इस पर राघव के वकील शादान फरासत ने कहा- राघव चड्ढा राज्यसभा के सबसे युवा सदस्य हैं। उनको माफी मांगने में कोई हर्ज नहीं है। वो पहले भी क्षमा याचना कर चुके हैं। शादान ने कहा कि राघव के निलंबन का प्रस्ताव पूरे सदन ने पारित किया था, लेकिन सभापति अपने स्तर पर भी इसे रद्द कर सकते हैं। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि सभापति इस पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर सकते हैं।