नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने घोषणापत्र में किए जाने वाले आर्थिक वादों को लेकर एक बड़ा आदेश दिया है। सर्वोच्च अदालत ने घोषणापत्र में आर्थिक मदद के वादे को भ्रष्टाचार मानने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट में इसको लेकर दायर की गई याचिका में कहा गया था कि घोषणापत्र में किए वादों के तहत सीधे या परोक्ष रूप से बड़ी संख्या में लोगों को आर्थिक मदद मिलती है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने अपील खारिज करते हुए कहा कि ये दूर की कौड़ी है।
अदालत ने कहा- मौजूदा हालात और तथ्यों को देखते हुए विचार करने की जरूरत नहीं है। हमने इस सवाल को बहस के लिए खुला छोड़ दिया है। गौरतलब है कि राजनीतिक दलों को चुनावी घोषणापत्र में मुफ्त की चीजें बांटने से रोकने की मांग वाली एक जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में पहले से दायर है। याचिका कर्नाटक हाई कोर्ट के एक आदेश के खिलाफ दायर की गई थी। चामराजपेट विधानसभा क्षेत्र के एक मतदाता शशांक जे श्रीधर ने 2023 में कर्नाटक के कांग्रेस विधायक बीजेड जमीर अहमद खान के चुने जाने को चुनौती दी थी। याचिका में कहा गया था कि कांग्रेस घोषणापत्र में जो गारंटी दी गई हैं, उनसे भ्रष्टाचार होगा। इसी कारण से खान का चुनाव रद्द करने की अपील की गई।
कर्नाटक हाई कोर्ट ने इस अपील को खारिज कर दिया था। खान ने इस याचिका के खिलाफ हाई कोर्ट से कहा था कि उनके खिलाफ कोई व्यक्तिगत आरोप नहीं लगाया गया। याचिकाकर्ता का तर्क केवल पार्टी के घोषणापत्र पर आधारित है। कांग्रेस का घोषणा पत्र एक नीतिगत मामला है। ऐसा नहीं कह सकते कि इससे भ्रष्टाचार होगा।