नई दिल्ली। भ्रामक विज्ञापन और सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के मामले में पतंजलि समूह के बाबा रामदेव और बालकृष्ण मंगलवार को पांचवीं बार अदालत के सामने पेश हुए। हालांकि मंगलवार को सुनवाई में भी सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई लेकिन रामदेव और बालकृष्ण को राहत दे दी। अदालत ने दोनों को अगली बार की सुनवाई पर हाजिर रहने से छूट दे दी है। मंगलवार को पतंजलि विज्ञापन केस में सुप्रीम कोर्ट में करीब डेढ़ घंटे सुनवाई हुई। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच में रामदेव और बालकृष्ण पांचवीं बार पेश हुए। पतंजलि समूह की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी और बलबीर सिंह ने पैरवी की। उत्तराखंड सरकार की ओर से ध्रुव मेहता पेश हुए।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन भी मंगलवार की सुनवाई में शामिल हुआ। सुनवाई शुरू होते ही अदालत ने पतंजलि के वकील को ओरिजिनल माफीनामा यानी अखबारों की कॉपी की जगह इलेक्ट्रोनिक कॉपी जमा करने पर फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा- बहुत ज्यादा कम्युनिकेशन गैप है। कोर्ट ने इस पर ऐतराज जताया और कहा कि ये जान बूझकर किया जा रहा है। पतंजलि के वकील ज्यादा स्मार्ट हैं। पूरा न्यूज पेपर फाइल किया जाना था। सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि पर समय पर कार्रवाई नहीं करने को लेकर उत्तराखंड सरकार को भी फटकारा। साथ ही इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रमुख के एक दिन पहले दिए इंटरव्यू को रिकॉर्ड में लेने को कहा। अदालत ने पतंजलि को इजाजत दी कि वो अपने माफीनामे वाले विज्ञापन का अखबार पेश कर सके। इसके साथ ही अगली सुनवाई के लिए बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को सुनवाई के दौरान मौजूद रहने से छूट दे दी गई।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन अध्यक्ष के इंटरव्यू का मुद्दा भी अदालत ने सुना। बताया जा रहा है कि इसमें उन्होंने आईएमए पर उंगली उठाने के लिए आलोचना की है। गौरतलब है कि पिछली सुनवाई में कोर्ट ने आईएमए से कहा था कि एलोपैथी के डॉक्टर भी अनाप शनाप दवाए लिखते हैं। कोर्ट ने आईएमए के अध्यक्ष का इंटरव्यू मांगा है ताकि फैसला किया जाए कि क्या कार्रवाई की जाए। अगली सुनवाई 17 मई को होगी।