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पीएम के भाषण का बहिष्कार

नई दिल्ली। विपक्षी पार्टियों ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण का बहिष्कार किया। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई चर्चा का जवाब देने प्रधानमंत्री बुधवार को जब राज्यसभा पहुंचे तो विपक्षी पार्टियों के सांसद सदन में थे। लेकिन उनके आधे घंटे के भाषण के बाद विपक्षी पार्टियों के सांसद सदन से वॉकआउट कर गए। उसके बाद प्रधानमंत्री ने करीब सवा घंटे तक और भाषण दिया। उन्होंने कुल एक घंटा 50 मिनट का भाषण दिया। एक दिन पहले मंगलवार को प्रधानमंत्री ने लोकसभा में सवा दो घंटे का भाषण दिया था।

राज्यसभा में प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए सभी अहम मसलों पर बोले। उन्होंने मेडिकल दाखिले की परीक्षा नीट में हुई गड़बड़ियों का मुद्दा भी उठाया और मणिपुर पर भी बोले। वे संविधान, कांग्रेस, पश्चिम बंगाल, रोजगार, भ्रष्टाचार, सीबीआई व ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियों की जांच, संघवाद, इमरजेंसी, जम्मू कश्मीर, राहुल गांधी आदि सभी के बारे में बोले।

प्रधानमंत्री मोदी जब 32 मिनट बोल चुके थे, तब विपक्ष के नेताओं ने सदन से वॉकआउट किया। विपक्ष का वॉकआउट प्रधानमंत्री द्वारा सोनिया गांधी पर निशाना साधने के बाद हुआ। गौरतलब है कि सोनिया गांधी अब राज्यसभा में हैं। उनका नाम लिए बगैर प्रधानमंत्री ने कहा- ये लोग ऐसे हैं, जो ऑटो पायलट और रिमोट पायलट पर सरकार चलाने के आदी हैं। वे काम करने में विश्वास नहीं रखते, वे बस इंतजार करना जानते हैं। इसके बाद विपक्षी सांसद सदन से बाहर चले गए।

विपक्ष के वॉकआउट पर उप राष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा- ये लोग मुझे नहीं, संविधान को पीठ दिखा रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष को निशाना बनाते हुए कहा- कल उनकी सारी हरकतें फेल हो गईं, इसलिए वे मैदान छोड़कर भाग गए। नारे लगाना, चिल्लाना और भाग जाना, यही उनकी नियति है। मोदी ने नीट परीक्षा का मुद्दा उठाते हुए कहा- पेपर लीक एक बड़ी समस्या है। मेरी इच्छा थी, सारे दल इस पर अपनी राय रखते। लेकिन यह मुद्दा भी इन्होंने राजनीति की भेंट चढ़ा दी। मैं देश के नौजवानों को आश्वस्त करता हूं कि आपको धोखा देने वालों को यह सरकार छोड़ने वाली नहीं है। इन्हें सख्त सजा मिले, इसलिए एक के बाद एक एक्शन लिए जा रहे हैं। हमने इसके लिए सख्त कानून बनाया है।

मोदी ने मणिपुर के मुद्दो पर कहा- मणिपुर में लगातार हिंसक घटनाएं कम हो रही हैं। स्कूल, कॉलेज, दफ्तर और अन्य संस्थान चल रहे हैं। मणिपुर में भी परीक्षाएं हुई हैं। उन्होंने मणिपुर के घटनाक्रम का दोष वहां की वहां की ऐतिहासिक सामाजिक स्थितियों पर डाला। उन्होंने कहा- जो लोग मणिपुर का इतिहास जानते हैं, उन्हें पता है कि वहां सामाजिक संघर्ष का इतिहास रहा है। इन्हीं कारणों से मणिपुर में 10 बार राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा। मोदी ने कांग्रेस पर दोष डालते हुए- मैं इस सदन में देश को बताना चाहता हूं कि 1993 में मणिपुर में ऐसी ही घटनाएं हुई थीं, जो 5 साल चली थीं। यह इतिहास समझकर हमें स्थितियों को ठीक करना है।

By NI Desk

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