सियोल। रूसी राष्ट्रपति पुतिन और उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग में बुधवार को यह सहमति हुई है कि दोनों में से किसी भी देश पर हमला हुआ तो वे एक-दूसरे की मदद करेंगे। दोनों नेताओं की यह शिखर वार्ता ऐसे समय हुई है, जब दोनों देशोंका पश्चिम के साथ झगड़ा बढ़ रहा हैं।
दोनों देशों के बीच सहयोग का एक नया समझौता हुआ है। यह समझौता सुरक्षा, व्यापार, निवेश और सांस्कृतिक तथा मानवीय संबंधों से जुड़ा है।1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद से मॉस्को और प्योंगयांग के बीच यह सबसे बड़ा समझौता है। दोनों नेताओं ने इसे द्विपक्षीय संबंधों में एक बड़ा सुधार बताया। चौबीस साल में पुतिन पहलीबार उत्तर कोरिया गए है।
पुतिन की यह यात्रा हथियारों की उस व्यवस्था को लेकर पश्चिमी देशों की बढ़ती चिंताओं के बीच है। ध्यान रहे उत्तर कोरिया यूक्रेन से युद्ध के लिए रूस को हथियार मुहैया करा रहा है और बदले में आर्थिक सहायता और तकनीक हासिल कर रहा है। दोनों देशों के बीच इस करार को आर्थिक तथा सैन्य सहयोग बढ़ाने और अमेरिका के खिलाफ संयुक्त मोर्चा बनाने की मंशा में देखा जा रहा है।
रूसी सरकारी मीडिया के अनुसार हस्ताक्षर समारोह के बाद पुतिन ने कहा कि किम के साथ बातचीत में सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर काफी चर्चा हुई। पुतिन के हवाले से कहा गया है कि समझौते के तहत रूस उत्तर कोरिया के साथ सैन्य-तकनीकी सहयोग विकसित करने से पीछे नहीं हटेगा। पुतिन और किम के बीच बैठक करीब दो घंटे की हुई। जबकि प्रारंभ में बैठक का वक्त एक घंटे निर्धारित किया गया था।
उत्तर कोरियाई नेता के साथ अपनी वार्ता की शुरुआत में पुतिन ने कहा कि रूस और उत्तर कोरिया आर्थिक तथा सैन्य सहयोग बढ़ाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे क्योंकि वे ‘‘रूसी संघ के विरुद्ध अमेरिका और उसके उपग्रहों की साम्राज्यवादी आधिपत्यवादी नीतियों के विरुद्ध संघर्ष कर रहे हैं।’’
उत्तर कोरिया के परमाणु हथियार कार्यक्रम के कारण संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने उस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं वहीं यूक्रेन के खिलाफ युद्व के कारण रूस भी अमेरिका और उसके पश्चिमी साझेदारों के कड़े आर्थिक प्रतिबंधों का सामना कर रहा है।