नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र के सातवें दिन मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आपराधिक कानूनों में बदलाव के लिए पेश किए गए तीनों विधेयक वापस ले लिए। और उनकी इनकी जगह तीन नए विधेयक लोकसभा में पेश किए। अमित शाह ने कहा कि संसद की गृह मामलों की समिति ने विधेयकों में सुधार की सिफारिश की थी। इसलिए सरकार ने पहले पेश किए गए विधेयकों में संशोधन लाने की बजाय बदलावों को शामिल करते हुए नए विधेयक लाने का फैसला किया। गौरतलब है कि सरकार आईपीसी, सीआरपीसी और इविडेंस एक्ट की जगह हिंदी नाम वाले तीन कानून ला रही है।
केंद्र सरकार ने नए कानूनों में आतंकवादी कृत्य की कानूनी परिभाषा को नया रूप दिया है। नए आपराधिक कानून में आर्थिक सुरक्षा को खतरे में डालने के मकसद से नकली नोट चलाना और सरकार को धमकाने के लिए किसी व्यक्ति के अपहरण को भी आतंकवाद की श्रेणी में रखा गया है। सरकार ने भारतीय न्याय संहिता यानी बीएनएस में दो नए सेक्शन जोड़े हैं, जो आपराधिक प्रक्रिया संहिता सहित मौजूदा आपराधिक कानूनों को बदलने के लिए बनाए गए तीन विधेयकों में से एक हैं।
इसमें क्रूरता को फिर से परिभाषित किया गया है, जिसमें एक महिला के मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाना शामिल है। इसकी धारा 86 में क्रूरता को परिभाषित किया गया है, जिसमें एक महिला के मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाना शामिल है। विधेयक के पिछले संस्करण में धारा 85 में पति या उसके परिवार के सदस्यों को अपनी पत्नी के साथ क्रूर व्यवहार करने का दोषी पाए जाने पर तीन साल तक की जेल की सजा का प्रावधान था।