नई दिल्ली। अंग्रेजों के बनाए आपराधिक कानून की जगह लेने वाले तीन नए कानूनों को गुरुवार को राज्यसभा ने पास कर दिया। इसके साथ ही इन तीनों विधेयकों को संसद की मंजूरी मिल गई। अब इन्हें राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा और उसके साथ ही तीन नए कानून अस्तित्व में आ जाएंगे। गुरुवार को राज्यसभा में आपराधिक कानूनों से जुड़े तीनों विधेयकों- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य विधेयक पर चर्चा के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने जवाब दिया और उसके बाद इसे ध्वनि मत से पास कर दिया गय।
अमित शाह ने चर्चा का जवाब देते हुए कहा- जो लोग सदन के बाहर पूछते हैं कि इस कानून से क्या होगा? मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि ये कानून बैलेंस ऑफ वर्क को ध्यान में रखकर लाए गए हैं। इसे लागू होने के बाद तारीख पर तारीख का जमाना नहीं रहेगा। किसी भी मामले में तीनसाल में न्याय दिलाने का उद्देश्य है।उन्होंने कहा- जो कहते हैं कि नए कानूनों की जरूरत क्या है, उनको स्वराज का मतलब नहीं पता, इसका मतलब स्वशासन नहीं है। इसका मतलब स्वधर्म, भाषा, संस्कृति को आगे बढ़ाना है। गांधी जी ने शासन परिवर्तन की लड़ाई नहीं लड़ी, उन्होंने स्वराज की लड़ाई लड़ी।
राज्यसभा में गुरुवार को टेलीकम्युनिकेशन बिल,2023 भीपास हो गया। इस बिल को लोकसभा में 20 दिसंबर को पास किया गया था। अब इसे राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेज जाएगा। राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद यह बिल कानून बन जाएगा। इस बिल में फर्जी सिम लेने पर तीनसाल जेल और 50 लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इससे पहलेलोकसभा ने गुरुवार को ही मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति, सेवा शर्तों को विनियमित करने वाले बिल को मंजूरी दे दी। राज्यसभा से यह बिल 12 दिसंबर को पास हुआ था। इसमें चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का एक पैनल बनाने का प्रावधान किय गया है, जिसमें प्रधानमंत्री और उनकी ओर से मनोनीत एक कैबिनेट मंत्री के साथ लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता सदस्य होंगे। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री, लोकसभा में सबसे बड़े दल के नेता और चीफ जस्टिस का पैनल बनाने का आदेश दिया था।