नई दिल्ली। भारत में एक जून से मानसून अवधि की शुरुआत के बाद से 20 प्रतिशत कम बारिश हुई है और पूरे महीने भी कुल वर्षा औसत से कम होगी। विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने यह जानकारी दी। सामान्य से दो दिन पहले मुख्य भूमि पर पहुंचने और कई अन्य राज्यों में तेजी से आगे बढ़ने के बाद, 12 से 18 जून के बीच मानसून में कोई खास प्रगति नहीं हुई जिससे उत्तर भारत में बारिश के लिए प्रतीक्षा अवधि बढ़ गई। उत्तर भारत का एक बड़ा हिस्सा भीषण गर्मी से जूझ रहा है।
मौसम विभाग ने बताया कि अगले तीन से चार दिन में महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्रों, उत्तर-पश्चिमी बंगाल की खाड़ी, बिहार और झारखंड के कुछ हिस्सों में मानसून आने की स्थिति बन रही हैं।
दक्षिण-पश्चिम मानसून 19 मई को निकोबार द्वीप समूह के कुछ हिस्सों में पहुंच गया था। इसके बाद 26 मई को चक्रवात रेमल के साथ ही मानसून दक्षिण के अधिकांश हिस्सों और बंगाल की खाड़ी के मध्य तक पहुंचा था। केरल और पूर्वोत्तर राज्यों में सामान्य से क्रमशः दो और छह दिन पहले 30 मई को मानसून ने दस्तक दे दी थी।
केरल, कर्नाटक, गोवा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के सभी हिस्सों, दक्षिणी महाराष्ट्र के अधिकतर क्षेत्रों, दक्षिणी छत्तीसगढ़, दक्षिणी ओडिशा के कुछ भागों, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल के अधिकतर हिस्सों, सिक्किम और सभी पूर्वोत्तर राज्यों के अधिकांश हिस्सों में 12 जून तक मानसून दस्तक दे चुका था।
मौसम विभाग के अनुमान के मुताबिक, देश भर में जून में औसत बारिश सामान्य से कम होने का अनुमान है। जून-जुलाई को खेती के लिए सबसे महत्वपूर्ण मानसून महीने माना जाता है, क्योंकि खरीफ फसल की अधिकांश बुवाई इसी दौरान होती है।