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माफिया मुख्तार अंसारी की अस्पताल में मौत, सपा ने दुख जताया

मुख्तार अंसारी

बांदा। यूपी की बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) की गुरुवार देर रात मौत हो गई। जेल की बैरक में मुख्तार अंसारी की तबीयत खराब होने पर जेल प्रशासन उन्‍हें रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज (Rani Durgavati Medical College) ले आया, जहां उनकी हालत गंभीर बताई जा रही थी। सपा के आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट से उनके बारे में दुख प्रकट किया गया है। Mukhtar Ansari Death

मेडिकल कॉलेज से जारी बुलेटिन के अनुसार, विचाराधीन बंदी मुख्तार अंसारी पुत्र सुभानल्लाह अंसारी (उम्र 63 वर्ष) जेलकर्मियों द्वारा रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज में बेहोशी की हालत में लाया गया। नौ डाक्टरों की टीम ने तत्काल उन्‍हें चिकित्सीय उपचार दिया। डॉक्‍टरों का कहना है कि दिल का दौरा पड़ने से मुख्तार अंसारी की मौत हो गई।

सपा ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा, “पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) जी का इंतकाल, दुखद। ईश्‍वर उनकी आत्मा को शांति दें। शोकाकुल परिजनों को यह असीम दुख सहने का संबल प्राप्त हो। विनम्र श्रद्धांजलि। 60 वर्षीय मुख्तार ने सुनवाई के दौरान अदालत में आरोप लगाया था कि जेल में उनकी हत्या का प्रयास किया जा रहा है।

उन्‍हें खाने में धीमा जहर दिया जा रहा है, जिससे उनकी तबीयत बिगड़ रही है। इस मामले में एमपी एमएलए कोर्ट (MP MLA Court) ने जेल प्रशासन से रिपोर्ट भी मांगी थी। मुख्तार की मौत के बाद गाजीपुर व मऊ समेत अन्य संवेदनशील जिलों में अलर्ट जारी कर दिया गया है। एहतियात के तौर पर पुलिस लाइन से भारी संख्या में फोर्स निकाली जा रही है।

सूचना मिली है कि मऊ, बांदा और गाजीपुर में धारा 144 लागू कर दी गई है। बता दें कि 26 मार्च की देर शाम जब मुख्तार को मेडिकल कॉलेज से वापस मंडलीय कारागार लाया गया, तभी से उन्‍हें अपनी तबीयत पूरी तरह से ठीक नहीं लग रही थी। सूत्रों के मुताबिक, रात को दवा खाने से पहले उन्‍होंने हल्का सा भोजन किया था। इसके बाद बुधवार को उन्‍होंने सिर्फ फल ही खाए थे।। गुरुवार को भी उन्‍होंने थोड़ी सी खिचड़ी खाई थी।

इसके बाद उन्‍होंने फिर से पेट में ऐंठन की शिकायत की। डॉक्टरों की टीम ने जांच की और इसके कुछ ही देर बाद एडीएम राजेश कुमार (Rajesh Kumar) भी उनका हाल जानने कारागार पहुंचे थे। बाद शाम सात बजे के आसपास दोबारा तबीयत खराब होने की शिकायत पर डॉक्टरों के अलावा प्रशासन के अधिकारी भी कारागार पहुंचे और उन्‍हें इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज पहुंचाया, मगर उन्‍हें बचाया नहीं जा सका।

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