नई दिल्ली। मतदान के बाद आंकड़ों की जानकारी देने के मामले में चुनाव आयोग की ही चलेगी। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग की वेबसाइट पर 48 घंटे के अंदर बूथ वाइज मतदान का आंकड़ा और फॉर्म 17सी डेटा अपलोड करने का निर्देश देने से इनकार कर दिया। पहले और दूसरे चरण के मतदान के बाद अंतिम आंकड़े जारी करने में देरी के बाद चुनाव आयोग विवादों से घिर गया था और सुप्रीम कोर्ट में उसे निर्देश देने की याचिका दायर की गई थी।
ईवीएम और वीवीपैट के सौ फीसदी मिलान की याचिका दायर करने वाली गैर सरकारी संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी एडीआर के अलावा तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा और कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अवकाशकालीन बेंच ने लोकसभा चुनाव के पांच चरण की वोटिंग हो जाने का हवाला देते हुए मामले पर कोई भी निर्देश देने से इनकार कर दिया।
अदालत ने कहा- अब सिर्फ दो चरण की ही वोटिंग बाकी हैं। ऐसे में डेटा अपलोडिंग के लिए मैनपावर जुटाना चुनाव आयोग के लिए मुश्किल होगा। चुनाव बाद रेगुलर बेंच मामले को देखेगी। गौरतलब है कि हर चरण के मतदान के दिन चुनाव आयोग अंतरिम आंकड़े जारी करता है। इसके कुछ दिन बाद वह उस चरण का अंतिम आंकड़ा जारी करता है। कांग्रेस, एडीआर और तृणमूल कांग्रेस ने इस बार लोकसभा चुनाव के पहले और दूसरे चरण के अंतरिम और अंतिम आंकड़ों में बड़ा अंतर आने के बाद सवाल उठाए और सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई।
याचिका में कहा गया कि चुनाव आयोग ने 19 अप्रैल को पहले चरण के मतदान के 11 दिन बाद और 26 अप्रैल को दूसरे चरण के मतदान के चार दिन बाद 30 अप्रैल को मतदान का अंतिम आंकड़ा जारी किया था। इसमें वोटिंग के दिन जारी अंतरिम आंकड़े के मुकाबले अंतिम आंकड़े में मतदान प्रतिशत पांच से छह प्रतिशत ज्यादा था। इसे आधार बना कर एडीआर ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि चुनाव आयोग मतदान होने के 48 घंटे के अंदर हर पोलिंग बूथ पर डाले गए वोटों का आंकड़ा जारी करे।
इसके अलावा एडीआर ने याचिका में फॉर्म 17सी की स्कैन की हुई कॉपी भी चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपलोड करने की मांग की थी। इस मामले में 17 मई को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से जवाब मांगा था। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा था कि फॉर्म 17सी के आधार पर मतदान के आंकड़े का खुलासा करने से मतदाताओं के बीच भ्रम पैदा होगा, क्योंकि इसमें पोस्टल बैलेट पेपर की गिनती भी शामिल होगी। साथ ही आयोग ने यह भी कहा था कि ऐसा कोई कानून नहीं है, जिसके आधार पर सभी मतदान केंद्रों का अंतिम मतदान प्रतिशत जारी करने के लिए कहा जा सके। चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि फॉर्म 17सी सिर्फ पोलिंग एजेंट को दे सकते हैं। गौरतलब है कि फॉर्म 17सी वह प्रमाणपत्र है, जिसे पीठासीन अधिकारी सभी प्रत्याशियों को प्रमाणित करके देता है। इस पर लिखा होता है कि मतदान केंद्र पर कुल कितने वोट हैं और कुल कितना मतदान हुआ।