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नीट पर संसद में भारी हंगामा

नई दिल्ली। संसद के दोनों सदनों में शुक्रवार को मेडिकल की दाखिला परीक्षा नीट को लेकर जबरदस्त हंगामा हुआ। हंगामे के चलते दोनों सदनों में कार्यवाही ठीक से नहीं चल सकी और कई बार के स्थगन के बाद दोनों सदनों को एक जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया गया। राज्यसभा में तो हंगामा इतना बढ़ गया कि सदन के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी वेल में पहुंच गए। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया। गौरतलब है कि नीट की परीक्षा में पेपर लीक होने और दूसरी कई तरह की गड़बड़ियों की खबर के बाद सीबीआई इसकी जांच कर रही है।

इससे पहले शुक्रवार को विपक्ष ने मेडिकल की दाखिला परीक्षा नीट पर चर्चा की मांग को लेकर स्थगन प्रस्ताव पेश किया था। लोकसभा में स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि नियमों के मुताबिक राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के बीच स्थगन प्रस्ताव नहीं लाया जाता। इसके बावजूद लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी अपनी बात कहते रहे। उधर राज्यसभा में भी 22 सांसदों के नोटिस को सभापति ने खारिज कर दिया। इसके बाद दोनों सदनों में विपक्षी सांसदों का हंगामा शुरू हो गया। गौरतलब है कि 24 जून से शुरू हुआ संसद का यह सत्र तीन जुलाई तक चलेगा। अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों सदनों में चर्चा का जवाब देंगे।

बहरहाल, नीट मामले पर चर्चा की मांग के दौरान राज्यसभा में चेयरमैन जगदीप धनखड़ और नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच विवाद की स्थिति बन गई। हंगामे के बीच खड़गे सभापति के सामने वेल में पहुंच गए, जिससे नाराज सभापति ने कार्यवाही दो बजे तक स्थगित कर दी। इसके बाद खड़गे सदन से बाहर आकर कहा- यह चेयरमैन की गलती है। मैं उनका ध्यान खींचने के लिए अंदर गया था। लेकिन, तब भी वे नहीं देख रहे थे। वे केवल सत्ता पक्ष को देख रहे थे। नियमानुसार उन्हें मेरी तरफ देखना चाहिए, लेकिन उन्होंने जान बूझकर मुझे अनदेखा करके मेरा अपमान किया। खड़गे ने आगे कहा- तो मेरे लिए क्या बचा था? मुझे या तो अंदर जाना होगा या बहुत जोर से चिल्लाना होगा।

राज्यसभ में भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने सरकार का बचाव करते हुए कहा- नीट पर सरकार संवेदनशील और पूरी तरह से सतर्क है। शिक्षा मंत्री ने कहा है कि एक भी बच्चे के साथ अन्याय नहीं होने देंगे, लेकिन जब ये विषय सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, विपक्ष क्या न्यायालय के विजडम से ऊपर समझते हैं। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा- जब एनटीए चीफ को हटा दिया गया, जांच जारी है, मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है तो इस तरह का माहौल बनाने का क्या मतलब है?

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