नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम (Karti Chidambaram) को कथित चीनी वीजा घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले (Money Laundering Case) में जमानत दे दी। कार्ति चिदंबरम राउज एवेन्यू कोर्ट (Rouse Avenue Court) की जज कावेरी बावेजा के समक्ष पेश हुए। अदालत ने इससे पहले मामले में चिदंबरम और उनके पूर्व चार्टर्ड अकाउंटेंट एस. भास्कररमन के खिलाफ ईडी के आरोपपत्र पर संज्ञान लिया था। जज ने उन्हें एक लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि पर जमानत दी। अप्रैल में अदालत ने इसी मामले में तीन आरोपियों को अंतरिम जमानत दी थी।
इस मामले में चिदंबरम के अलावा एडवांटेज स्ट्रैटेजिक कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड, तलवंडी साबो पावर लिमिटेड और अन्य को भी आरोपी बनाया गया है। ईडी ने आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत सीबीआई (CBI) की एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की थी। ईडी की जांच से पता चला कि चिदंबरम ने तलवंडी साबो पावर लिमिटेड द्वारा चीन के लिए वीजा दिलाने के बदले में अपने करीबी सहयोगी भास्कररमन से कथित तौर पर 50 लाख रुपये की अवैध रिश्वत ली थी। ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था यह कंपनी पंजाब के मानसा में एक पावर प्रोजेक्ट (Power Project) स्थापित करने में शामिल थी।
कंपनी के अधिकारियों ने गृह मंत्रालय से वीजा की मंजूरी के लिए कार्ति चिदंबरम (Karti Chidambaram) से संपर्क किया था। उस समय उनके पिता पी. चिदंबरम गृह मंत्री थे। अधिकारी ने कहा कि इस मामले में कंपनी ने एक डेटा एंट्री ऑपरेटर को 50 लाख रुपये का चेक दिया और फिर एंट्री ऑपरेटर ने भास्कररमन को 50 लाख रुपये नकद दिए। अधिकारी ने कहा इसके बाद, एस. भास्कररमन (S. Bhaskararaman) ने 50 लाख रुपये की यह नकद राशि एडवांटेज स्ट्रैटेजिक कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड में निवेश कर दी, जो कार्ति चिदंबरम के नियंत्रण में है। समय के साथ, इस निवेश का मूल्य बढ़कर 1.59 करोड़ रुपये हो गया, जो पीएमएलए के प्रावधानों के तहत अपराध की आय है।
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