रांची। झारखंड की नई बनी चम्पई सोरेन सरकार सोमवार को बहुमत साबित करेगी। बहुमत परीक्षण के लिए पांच और छह फरवरी का दो दिन का विशेष सत्र बुलाया गया है। सत्र से पहले हैदराबाद भेजे गए सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायक वापस रांची लौट आए हैं। रविवार की देर शाम विशेष विमान से झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के 37 विधायक वापस लौटे हैं। खरीद फरोख्त की आशंका के चलते दोनों दलों के विधायकों को दो फरवरी को विशेष विमान से कांग्रेस शासित तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद भेज दिया गया था।
बहुमत परीक्षण से पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है कि महागठबंधन की सरकार के पास लिखित में 43 विधायकों का समर्थन है। उन्होंने सरकार के पास स्पष्ट बहुमत से ज्यादा विधायकों का समर्थन होने का दावा करते हुए कहा कि 43 विधायकों का लिखित समर्थन है और उसके अलावा जिन विधायकों के दस्तखत नहीं हुए उनमें पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी हैं, जो ईडी की हिरासत में थे इसलिए उनका दस्तखत नहीं हुआ। सुप्रियो भट्टाचार्य ने दावा किया कि जो विधायक नाराज बताए जा रहे थे वे भी पार्टी के साथ लौट गए हैं और सरकार के पास 47 विधायकों का समर्थन है। उन्होंने भाजपा पर तंज करते हुए कहा कि उसके पास सिर्फ 25 विधायक हैं।
गौरतलब है कि बड़ी जद्दोजहद के बाद चम्पई सोरेन को राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने दो फरवरी को शपथ दिलाई थी और 10 दिन में बहुमत साबित करने को कहा था। लेकिन चम्पई सोरेन ने तीन दिन में ही विधानसभा सत्र बुला कर बहुमत साबित करने का फैसला किया। उनके साथ कांग्रेस के आलमगीर आलम और राजद के इकलौते विधायक सत्यानंद भोक्ता ने मंत्री पद की शपथ ली थी। इस बीच किसी तरह की टूट की संभावना को खत्म करने के लिए जेएमएम और कांग्रेस के 37 विधायकों को हैदराबाद भेज दिया गया था। बताया जा रहा है कि सात फरवरी को चम्पई सोरेन सरकार का विस्तार होगा।
जानकार सूत्रों के मुताबिक सोरेन सरकार में इस बार कुछ नए चेहरे शामिल किए जा सकते हैं। जब हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री थे तब उनकी भाभी सीता सोरेन और भाई बसंत सोरेन सरकार का हिस्सा नहीं थे। लेकिन अब कहा जा रहा है कि इन दोनों को मंत्री बनाया जाएगा। दो उप मुख्यमंत्री बनाए जाने की चर्चा है। बताया जा रहा है कि सीता सोरेन उप मुख्यमंत्री हो सकती हैं। कांग्रेस कोटे के मंत्री भी बदले जा सकते हैं। गौरतलब है कि सरकार में कांग्रेस के चार मंत्री थे, जिनमें से आलमगीर आलम को मंत्री बना दिया गया है और रामेश्वर उरांव फिर से मंत्री बन सकते हैं। उनके अलावा बन्ना गुप्ता और बादल पत्रलेख को बदला जा सकता है। कांग्रेस की ओर से दीपिका पांडे सिंह के नाम की चर्चा है। हालांकि अभी तक मंत्रिमंडल के बारे में आखिरी फैसला नहीं हुआ है।