नई दिल्ली। अमेरिका ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा पर नाराजगी जताई है। अमेरिका ने कहा है कि मोदी की इस यात्रा की टाइमिंग और उससे जो संदेश दिया गया, वह बेहद निराशाजनक था। इसके जवाब में भारत ने कहा कि रूस के साथ उसके बहुत पुराने संबंध हैं और हर देश को अपना हित चुनने की आजादी है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी आठ जुलाई को रूस गए थे। उसी समय अमेरिका में नाटो देशों की बैठक भी चल रही थी।
बहरहाल, विदेश मामलों पर बनी अमेरिका की संसदीय समिति ने बुधवार को मोदी की रूस यात्रा पर चर्चा की। अमेरिका के विदेश मंत्रालय के अधिकारी डोनाल्ड लू ने कहा- हम इस मामले में भारतीय अधिकारियों से संपर्क में हैं। मोदी के मॉस्को दौरे पर अमेरिका बारीकी से नजर बनाए हुए था। दोनों देशों के बीच कोई अहम रक्षा समझौता नहीं हुआ। न ही उन्होंने तकनीक साझा करने पर कोई खास चर्चा की। अमेरिकी अधिकारी ने बैठक में कहा- पीएम मोदी ने पुतिन के सामने लाइव टीवी पर कहा कि जंग के मैदान में समस्या का हल नहीं निकाला जा सकता। मोदी ने जंग में बच्चों के मरने पर भी दुख जताया था।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के अधिकारी डोनाल्ड लू के बयान पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा है- भारत का रूस के बीच कई सालों से संबंध है। यह संबंध दोनों पक्षों के आपसी हितों पर आधारित है। दुनिया में सभी देशों को अपना हित चुनने की आजादी है। इसलिए, सभी को ये हकीकत समझने की जरूरत है। इससे पहले भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने भी प्रधानमंत्री मोदी की रूस यात्रा पर बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि भारत और अमेरिका के बीच रिश्ता बहुत मजबूत है लेकिन ये इतना भी मजबूत नहीं है कि इसे हल्के में लिया जाए। उनके इस बयान पर भी 19 जुलाई को विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया सामने आई थी।