शिमला। हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर आया संकट फिलहाल टल गया है। कांग्रेस की अपील पर स्पीकर ने छह बागी विधायकों को अयोग्य ठहरा दिया है। इनके अलावा मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से नाराज चल रहे विक्रमादित्य सिंह को मना लिया गया है। कांग्रेस ने तय किया है कि सुक्खू अभी मुख्यमंत्री बन रहेंगे। कांग्रेस ने साथ ही यह भी दावा किया है कि हिमाचल प्रदेश में भाजपा का ऑपरेशन लोटस विफल हो गया है। Himachal Political Crisis
गौरतलब है कि राज्य की एकमात्र राज्यसभा सीट पर हुए चुनाव में कांग्रेस के छह विधायकों ने पार्टी लाइन से हटकर भाजपा के लिए क्रॉस वोटिंग की थी। इस वजह से कांग्रेस के उम्मीदवार अभिषेक सिंघवी हार गए और भाजपा के हर्ष महाजन जीत गए। इसके बाद कांग्रेस के छह और तीन निर्दलीय विधायक भाजपा शासित हरियाणा के पंचकूला चले गए थे। राज्य सरकार के मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने भी मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इससे कांग्रेस सरकार के गिरने का खतरा पैदा हो गया था।
हालांकि, ऐन वक्त पर कांग्रेस ने पहल की और कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के साथ हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को हालात संभालने के लिए शिमला भेजा। डीके शिवकुमार और हुड्डा ने सभी विधायकों से एक एक करके बात की और विवाद समाप्त किया। इसके बाद गुरुवार को शिवकुमार ने मीडिया से कहा- कांग्रेस पार्टी और विधायकों के बीच सारे मतभेद सुलझा लिए गए हैं। सुखविंदर सिंह सुक्खू सीएम बने रहेंगे। प्रदेश में ऑपरेशन लोटस फेल हो गया है। उन्होंने कहा- हमारे लिए अब लोकसभा चुनाव प्राथमिकता है।
शिवकुमार और हुड्डा ने वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह और उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह से बात की। इसके बाद गुरुवार की शाम को प्रेस कांफ्रेंस हुई। इसमें डीके शिवकुमार, भूपेंद्र सिंह हुड्डा और मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू शामिल हुए। इसमें शिवकुमार ने कहा- हिमाचल प्रदेश में सब ठीक है सुक्खू सरकार पूरे पांच साल चलेगी। कुछ मुद्दे थे, जिन्हें सुलझा लिया गया है। प्रेस कांफ्रेस में मुख्यमंत्री ने कहा- मैं मानता हूं कि मैं असफल रहा। लेकिन ये खुफिया विफलता भी थी। हमें नहीं पता था कि बीजेपी हमारे विधायकों को तोड़ने की कोशिश कर रही है।
इस बीच राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने वाले कांग्रेस के छह बागी विधायकों को स्पीकर ने अयोग्य करार दिया है। बजट सेशन के दौरान सदन में मौजूद न रहने पर स्पीकर पठानिया ने गुरुवार सुबह इन्हें विधानसभा सदस्यता से अयोग्य ठहराया। बागी विधायकों ने अपनी सदस्यता रद्द करने के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। स्पीकर के इस फैसले के बाद हिमाचल की कांग्रेस सरकार के गिरने का खतरा टल गया है। गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में कुल 68 विधायक हैं। इस फैसले के बाद विधायकों की संख्या घट कर 62 हो गई है, जिसमें बहुमत का आंकड़ा 32 का है। कांग्रेस के पास अभी 34 विधायक हैं। दूसरी ओर भाजपा के 25 विधायक हैं, जबकि तीन निर्दलीय हैं।