नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तरह चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत मांग रहे झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। मंगलवार को उनकी अंतरिम जमानत की याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें अदालत ने कई सवाल उठाए। हेमंत के वकील कपिल सिब्बल ने इनका जवाब देने के लिए बुधवार तक का समय मांगा है। बुधवार को फिर इस मामले की सुनवाई होगी। गौरतलब है कि केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने 21 दिन की अंतरिम जमानत दी है। उन्हें दो जून को सरेंडर करना होगा। इसी तर्ज पर केजरीवाल ने भी एक जून तक की जमानत मांगी थी।
बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को हेमंत सोरेन के वकील से पूछा कि जब अदालत प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की ओर से दाखिल आरोपपत्र पर संज्ञान ले चुकी है, जिसमें अदालत ने माना है कि पहली नजर में मामला बनता है तो फिर आप बताइए कि अदालत के संज्ञान लेने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट गिरफ्तारी की वैधता पर विचार कर सकता है? कोर्ट ने यह भी कहा कि आपकी नियमित जमानत खारिज हो चुकी है। ऐसे में आप कोर्ट को संतुष्ट करें कि क्या अदालत इसके बाद भी मामले पर विचार कर सकती है और अगर अदालत मामले पर विचार करती है तो उन दोनों आदेशों का क्या होगा?
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने हेमंत सोरेन के वकील कपिल सिब्बल से कहा कि इस मामले में बाद में जो कुछ हुआ है उसे लेकर कोर्ट को संतुष्ट कीजिए। यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर विस्तृत सुनवाई की जरूरत है। सिब्बल ने कोर्ट के सवालों का का जवाब देने के लिए बुधवार तक का समय मांग लिया। कोर्ट मामले पर बुधवार को फिर सुनवाई करेगा।
गौरतलब है कि ईडी ने जमीन धोखाधड़ी के केस में धन शोधन के आरोप में हेमंत सोरेन को 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था। सोरेन वे अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी, जिसे हाई कोर्ट ने तीन मई को खारिज कर दिया था। इसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। चुनाव को देखते हुए अंतरिम जमानत मांगी है। बिल्कुल इसी तरह की स्थिति में केजरीवाल को जमानत मिली है।
मंगलवार को सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसीटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि इस मामले में अदालत ईडी की ओर से दाखिल आरोपपत्र पर संज्ञान ले चुकी है। अदालत ने माना है कि सोरेन के खिलाफ पहली नजर में मामला बनता है। ऐसे में सोरेन यह कह कर गिरफ्तारी को चुनौती कैसे दे सकते हैं कि उनके खिलाफ कोई सामग्री नहीं है और उनके खिलाफ कोई मामला नहीं बनता। अदालत से इनकी नियमित जमानत अर्जी भी खारिज हो चुकी है।