नई दिल्ली। न्यूज चैनलों पर होने वाले मीडिया ट्रायल को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है और केंद्र सरकार को तीन महीने के अंदर इस पर गाइडलाइन बनाने का निर्देश दिया है। अदालत ने केंद्र सरकार से कहा है कि आपराधिक मामलों में मीडिया ब्रीफिंग को लेकर गाइडलाइन बनाई जाए। सभी राज्यों के पुलिस महानिदेशकों को भी एक महीने के भीतर इस मामले में गृह मंत्रालय को सुझाव देने का निर्देश दिया गया है।
सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसीटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि केंद्र जल्दी ही पुलिस द्वारा मीडिया ब्रीफिंग के संबंध में गाइडलाइन जारी करेगा। सुप्रीम कोर्ट 2017 से जुड़े एक मामले की सुनवाई कर रहा था। अब इसकी अगली सुनवाई जनवरी 2024 के दूसरे हफ्ते में होगी। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि मीडिया ट्रायल से न्याय प्रभावित हो रहा है। इसलिए पुलिस में संवेदनशीलता लाना जरूरी है।
चीफ जस्टिस ने कहा- किसी भी मामले में पुलिस को कितना खुलासा करना चाहिए, ये तय करने की जरूरत है। इसमें पीड़ितों और आरोपी का हित शामिल है। साथ ही जनता का हित भी शामिल है। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा- किसी भी मामले में जांच के दौरान अहम सबूतों का खुलासा होने पर जांच प्रभावित हो सकती है। हमें आरोपी के अधिकार का भी ध्यान रखना है, क्योंकि वह भी पुलिस की निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच का हकदार है। ऐसे में अगर आरोपी का मीडिया ट्रायल होता है तो जांच निष्पक्ष नहीं रह जाती।
मीडिया ब्रीफिंग के लिए गाइडलाइन की जरूरत बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि मीडिया ट्रायल से किसी पीड़ित या शिकायतकर्ता की गोपनीयता का उल्लंघन होता है। अदालत ने कहा कि कभी-कभी तो मामले से नाबालिग का संबंध भी होता है। ऐसे में पीड़ित की निजता को प्रभावित नहीं किया जा सकता। हमें पीड़ित और आरोपी दोनों के अधिकारों का ख्याल रखना होगा।