राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

चुनावी बॉन्ड के मामले में अब 11 मार्च को सुनवाई

Electoral Bonds Supreme court

नई दिल्ली। चुनावी बॉन्ड के बारे में जानकारी देने के लिए और समय मांगने की भारतीय स्टेट बैंक की अपील पर अगली सुनवाई 11 मार्च को होगी। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक बताते हुए स्टेट बैंक को आदेश दिया था कि वह अप्रैल 2019 के बाद से खरीदे और बेचे गए चुनावी बॉन्ड की पूरी जानकारी छह मार्च तक उपलब्ध कराए ताकि उसे 13 मार्च तक जनता के सामने रखा जा सके। Electoral Bonds Supreme court

लेकिन स्टेट बैंक ने चुनावी बॉन्ड की जानकारी देने के लिए 30 जून तक की मोहलत मांगी है। उसकी इस याचिका पर पांच जजों की संविधान पीठ 11 मार्च को सुनवाई करेगी।

इस बीच चुनावी बॉन्ड के मामले में याचिका दायर करने वाले एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स, एडीआर ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करके स्टेट बैंक के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की मांग की है। एडीआर का कहना है कि स्टेट बैंक ने जान बूझकर सर्वोच्च अदालत की आवमानना की है।

यह सवाल भी उठ है कि सर्वोच्च अदालत ने जब 15 फरवरी को देश दिया था तो स्टेट बैंक ने उसकी ओर से दी गई समय सीमा खत्म होने से दो दिन पहले क्यों अतिरिक्त समय की याचिका लगाई? विपक्षी पार्टियों का कहना है कि सरकार नहीं चाहती है कि लोकसभा चुनाव से पहले चुनावी बॉन्ड की सचाई सामने आए इसलिए स्टेट बैंक इस मामले को 30 जून तक टाल रहा है।

इस बीच एक राष्ट्रीय बैंक यूनियन ने भारतीय स्टेट बैंक की ओर से चुनावी बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट से अधिक समय की अपील करने पर आपत्ति जताई है। बैंक एम्प्लाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया के महासचिव हरि राव ने एक बयान में कहा है- हम राजनीतिक उद्देश्य के लिए बैंकों का इस्तेमाल करने का विरोध करते हैं।

राव ने जल्दी से जल्दी ब्योरा सार्वजनिक करने की मांग करते हुए कहा- एसबीआई के इस तर्क ने कि कुछ ब्योरे को भौतिक रूप में एकत्रित किया जाता है और सीलबंद कवर में रखा जाता है, डिजिटल युग में, विशेष रूप से बैंक क्षेत्र में कई लोगों को हैरान कर दिया है। क्योंकि इस बारे में ज्यादातर जानकारी माउस के एक क्लिक पर उपलब्ध होती है।

By NI Desk

Under the visionary leadership of Harishankar Vyas, Shruti Vyas, and Ajit Dwivedi, the Nayaindia desk brings together a dynamic team dedicated to reporting on social and political issues worldwide.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *