नई दिल्ली। चुनावी बॉन्ड का ब्योरा सामने आने के एक दिन बाद शुक्रवार को इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में फिर सुनवाई हुई। सर्वोच्च अदालत ने एक बार फिर भारतीय स्टेट बैंक के रवैए पर नाराजगी जताई और पूछा कि जब उसने चुनावी बॉन्ड के बारे में सारी जानकारी दी तो उनको कोड्स क्यों नहीं बताए? electoral bond unique code
चुनावी बॉन्ड्स के कोड नहीं देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट बैंक को नोटिस जारी किया। गौरतलब है कि बॉन्ड्स के कोड के जरिए ही पता चलेगा कि कौन की चुनावी बॉन्ड किस पार्टी ने भुनाया है।
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इस मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट बैंक को नोटिस जारी किया और कहा- 11 मार्च के फैसले में स्पष्ट कहा गया था कि बॉन्ड की पूरी डिटेल खरीदी की तारीख, खरीदार का नाम, कैटेगरी सहित दी जाए, लेकिन भारतीय स्टेट बैंक ने यूनिक अल्फा न्यूमेरिक नंबर्स का खुलासा नहीं किया है।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की संविधान पीठ ने चुनाव आयोग की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। electoral bond unique code
संविधान पीठ ने कहा कि स्टेट बैंक 18 मार्च तक यूनिक नंबर की जानकारी नहीं दिए जाने का जवाब दे। अदालत ने रजिस्टरी को निर्देश दिया कि चुनाव आयोग से मिले विवरण को 16 मार्च की शाम पांच बजे तक स्कैन करके डिजिटल फॉर्म में तैयार किया जाए। इसके बाद ओरिजनल कॉपी आयोग को लौटा दी जाए।
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अदालत ने कहा कि एक कॉपी कोर्ट में रखी जाए और फिर इस ब्योरे को चुनाव आयोग की वेबसाइट पर 17 मार्च तक अपलोड किया जाए। चुनाव आयोग ने कहा है कि उसने सुप्रीम कोर्ट को दो किश्तों में दस्तावेज दिए हैं।
गौरतलब है कि चुनावी बॉन्ड की जानकारी देने से जुड़े मामले में स्टेट बैंक की याचिका पर 11 मार्च को सुनवाई हुई थी। इस सुनवाई में देश के सबसे बड़े बैंक से नाराजगी जताते हुए संविधान पीठ ने 12 मार्च तक पूरा ब्योरा देने और चुनाव आयोग को 15 मार्च तक इसे वेबसाइट पर प्रकाशित करने को कहा था। इसके साथ ही 30 जून तक का समय देने की स्टेट बैंक की याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी थी।
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सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन करते हुए स्टेट बैंक ने 12 मार्च को चुनावी बॉन्ड का ब्योरा चुनाव आयोग को दिया, जिसे आयोग ने 14 मार्च को ही अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित कर दिया। यह ब्योरा सामने आने के बाद पता चला कि देश की सबसे बड़ी गेमिंग और लॉटरी कंपनी ने राजनीतिक दलों को 13 सौ करोड़ रुपए से ज्यादा का चंदा दिया है। इस ब्योरे से पता चला है कि अनेक कंपनियों ने केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई के बीच चुनावी बॉन्ड खरीदे।
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स्टेट बैंक की ओर से दी गई सूची में अनेक ऐसी कंपनियों के नाम हैं, जिनके बारे में लोग ज्यादा नहीं जानते हैं। ऐसी ही एक कंपनी है क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड है। चुनावी बॉन्ड से चंदा देने वाली शीर्ष कंपनियों में इसका भी नाम बताया जा रहा है।
इसको लेकर रिलायंस समूह ने शुक्रवार को सफाई दी। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड से किसी भी तरह के संबंध होने से इनकार किया। रिलायंस की तरफ से कहा गया कि नवी मुंबई की धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी एक रजिस्टर्ड कंपनी है। यह कंपनी किसी की सहायक कंपनी नहीं है और इसका क्विक सप्लाई से कोई लेना-देना नहीं है।