नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में कोई कार्रवाई नहीं है, बल्कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को नोटिस भेज कर कहा है कि वे पार्टी के स्टार प्रचारकों से कहें कि वे अपने भाषणों में मर्यादा बचाए रहें। चुनाव आयोग ने कांग्रेस के भी स्टार प्रचारकों के खिलाफ मिली शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की है और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को नोटिस भेज कर भाषणों में सावधानी बरतने की चेतावनी दी है।
गौरतलब है कि कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी पर धार्मिक विद्वेष बढ़ाने का भाषण देने का आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग से शिकायत की थी। उसके बाद ही चुनाव आयोग ने एक नई परंपरा शुरू करते हुए प्रधानमंत्री मोदी को नोटिस भेजने की बजाय उनकी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को नोटिस भेजा था और कहा था कि स्टार प्रचारक अगर आचार संहिता का उल्लंघन करते हैं तो पार्टी अध्यक्ष को नोटिस भेजा जाएगा। तभी कांग्रेस नेताओं के खिलाफ भाजपा की शिकायत पर खड़गे को नोटिस भेजा गया था।
इसमें और दिलचस्प बात यह है कि शिकायत 19 अप्रैल को हुए पहले चरण के मतदान के दो दिन बाद 21 अप्रैल को दिए प्रधानमंत्री के भाषण को लेकर हुई थी, लेकिन चुनाव आयोग का फैसला ठीक एक महीने बाद आया है, जब पांच चरण का मतदान हो चुका है। प्रधानमंत्री ने राजस्थान के बांसवाड़ा में कहा था कि कांग्रेस सत्ता में आएगी तो लोगों की संपत्ति छीन कर उन लोगों को दे देगी, ‘जिनके ज्यादा बच्चे हैं’ या जो ‘घुसपैठिए’ हैं। चुनाव आयोग ने बुधवार, 22 मई को भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को नोटिस भेजा।
चुनाव आयोग ने दोनों पार्टियों के अध्यक्षों और स्टार प्रचारकों से अपने भाषण को सही करने, सावधानी बरतने और मर्यादा बनाए रखने के लिए कहा है। लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी सहित कांग्रेस के नेता अपने भाषणों में संविधान बचाने और अग्निवीर स्कीम का बार बार जिक्र कर रहे हैं। वहीं भाजपा के नेता अपने भाषणों में मुसलमान और धर्म पर जोर दे रहे हैं। आयोग ने दोनों पार्टियां के स्टार प्रचारकों को धार्मिक और सांप्रदायिक बयानबाजी न करने का निर्देश दिया है।
चुनाव आयोग ने भाजपा से उन प्रचार भाषणों को रोकने के लिए कहा है, जिनसे समाज में बंटवारा हो सकता है। चुनाव आयोग ने कांग्रेस से कहा कि वह संविधान को लेकर गलत बयानबाजी न करे। जैसे कि भारत के संविधान को खत्म किया जा सकता है या बेचा जा सकता है। इसके अलावा अग्निवीर पर बोलते हुए इलेक्शन कमीशन ने कांग्रेस से कहा कि वो सशस्त्र बलों का राजनीतिकरण न करें। इससे पहले दोनों पार्टियों की ओर से शिकायत मिलने पर 25 अप्रैल को चुनाव आयोग ने कांग्रेस और भाजपा के अध्यक्षों को नोटिस जारी किया था और इस पर जवाब मांगा था।