नई दिल्ली। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे और डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन के सनातन धर्म पर दिए बयान पर पूरे देश में विवाद हो गया है। उन्होंने सनातन धर्म को मलेरिया, डेंगू जैसा बताते हुए इसे समाप्त करने की बात कही थी। हालांकि बाद में उन्होंने इस पर सफाई दी लेकिन इसे लेकर पूरे देश में विवाद चल रहा है। भाजपा ने और देश के जाने माने संतों ने इसकी आलोचना की है। दूसरी ओर कांग्रेस ने बयान से किनारा कर लिया है।
रविवार को राजस्थान के डूंगरपुर से भाजपा की ‘परिवर्तन संकल्प यात्रा’ की शुरुआत करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इसके लिए विपक्षी गठबंधन पर हमला किया। उन्होंने कहा कि विपक्षी गठबंधन हिंदू धर्म से नफरत करता है। अमित शाह ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भी निशाना साधा और कहा कि उन्होंने हिंदू संगठनों को लश्कर ए तैयबा से अधिक खतरनाक’ बताया है। शाह ने कहा- अब विपक्षी गुट ‘इंडिया’ के नेताओं ने वोट बैंक तथा तुष्टीकरण की राजनीति के लिए ‘सनातन धर्म’ के संदर्भ में बात की है।
बाद में उदयनिधि ने बयान पर बवाल होता देख, सफाई देते हुए कहा- मैंने कभी भी सनातन धर्म का पालन करने वाले लोगों के नरसंहार का आह्वान नहीं किया। सनातन धर्म एक सिद्धांत है, जो लोगों को जाति और धर्म के नाम पर विभाजित करता है। सनातन धर्म को उखाड़ फेंकना मानवता और मानव समानता को कायम रखना है। उन्होंने यह भी कहा कि वे अपने कहे हर शब्द पर मजबूती से कायम हैं।
दूसरी ओर कांग्रेस ने उनके इस बयान से किनारा कर लिया है। कांग्रेस पार्टी के महाराष्ट्र प्रदेश के अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि कांग्रेस भले तमिलनाडु में डीएमके के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन में भागीदार है, लेकिन कांग्रेस किसी की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने में विश्वास नहीं रखती है। उन्होंने कहा कि धर्म को लेकर कांग्रेस का रुख एकदम साफ है। लेकिन इससे भाजपा की ओर से चल रहा हमला कम नहीं हुआ है। भाजपा ने कहा है कि कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व इस पर अपना स्टैंड स्पष्ट करे।