वाशिंगटन। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने समलैंगिक जोडों पर दिए अपने फैसले का बचाव किया है। उन्होंने अमेरिका में एक कार्यक्रम में कहा- संवैधानिक मुद्दों पर दिए गए फैसले अक्सर आपके मन की आवाज होते हैं। हालांकि कभी-कभी मन की आवाज, संविधान में कही गई बात से अलग होती है, लेकिन मैं समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने वाले फैसले में अपनी अल्पमत राय पर अभी तक कायम हूं।
समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बारे में बात करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा- जब मैंने अपना फैसला सुनाया तो मैं अल्पमत में था। मेरा मानना था कि समलैंगिक जोड़े बच्चा गोद ले सकते हैं। वहीं, मेरे तीन साथियों का मानना था कि ऐसा नहीं होना चाहिए। इसके बाद उन्होंने कहा कि इस पर फैसला करना संसद का काम है। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने वॉशिंगटन डीसी में जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी की ओर से 23 अक्टूबर को आयोजित ‘भारत और अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट’ प्रोग्राम में इस बारे में विस्तार से बात की।
गौरतलब है कि पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकों की शादी को कानूनी मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाया। इसमें चीफ जस्टिस और एक दूसरे जज ने समलैंगिक जोड़ों को साथ रहने का और बच्चे गोद लेने के अधिकार का समर्थन किया, जबकि तीन जजों के फैसले के अनुसार कानून के बगैर समलैंगिंक जोड़ों को ऐसे अधिकार हासिल नहीं हो सकते। शादी के मामले में सभी जजों ने एक राय से कहा कि समलैंगिक जोड़ों की शादी को कानूनी मान्यता नहीं दी जा सकती है। इस बारे में कानून बनाने का काम संसद को करना है।