नई दिल्ली। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने तीन नए आपराधिक कानूनों की जम कर तारीफ की है। उन्होंने इन कानूनों को ऐतिहासिक बनाया है और कहा है कि इनके लागू होने के बाद देश नए दौर में पहुंच गया है। चीफ जस्टिस ने कहा कि भारत अपनी आपराधिक न्याय प्रणाली में अहम बदलाव के लिए तैयार है। ये बदलाव तभी सफल होंगे, जब जिन पर इन्हें लागू करने का जिम्मा है, वे इन्हें अपनाएंगे। अंग्रेजों के बनाए आपराधिक कानूनों को पिछले साल संसद के शीतकालीन सत्र में बदल दिया गया था और उनकी जगह नए कानूनों को मंजूरी दी गई थी।
बहरहाल, चीफ जस्टिस ने कहा है- इन नए कानूनों ने आपराधिक न्याय के कानूनी ढांचे को एक नए युग में बदल दिया है। ये ऐतिहासिक इसलिए हैं, क्योंकि कोई भी कानून क्रिमिनल लॉ जैसा रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित नहीं करता। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने दिल्ली में एक कांफ्रेंस ‘इंडियाज प्रोग्रेसिव पाथ इन द एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम’ को संबोधित करते हुए तीनों आपराधिक कानूनों की जम कर तारीफ की। कांफ्रेंस में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता मेहता मौजूद थे।
गौरतलब है कि तीनों नए कानून, भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य संहिता इस साल एक जुलाई से लागू हो जाएंगे। इन कानूनों के बिल को संसद ने 21 दिसंबर 2023 को पास किया था। इसके चार दिन बाद 25 दिसंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के दस्तखत करने के बाद ये तीनों बिल कानून बन गए थे। हालांकि विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि कानूनों के सिर्फ नाम बदले गए हैं। कानूनों में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है।