नई दिल्ली। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई के स्थापना दिवस कार्यक्रम में एजेंसी को तकनीक के इस्तेमाल की सलाह देते हुए कहा कि आरोपियों को इलेक्ट्रोनिक तरीके से समन भेजा जा सकता है और वर्चुअल तरीके से यानी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए भी पूछताछ हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह से जमानत मिलने में होने वाली देरी से भी बचा जा सकता है।
चीफ जस्टिस सोमवार को सीबीआई के स्थापना दिवस कार्यक्रम में शामिल हुए। इस मौके पर उन्होंने 20वां डीपी कोहली मेमोरियल लेक्चर भी दिया। नई दिल्ली में प्रगति मैदान के भारत मंडपम में हुए कार्यक्रम में चीफ जस्टिस ने कहा- समन इलेक्ट्रॉनिक तरीके से दिए जाने चाहिए। गवाही भी वर्चुअली रिकॉर्ड किया जा सकता है, इससे पेपरवर्क बचेगा और प्रक्रिया आसान होगी। इससे जमानत मिलने में देरी से बचा जा सकेगा। साथ ही दूरदराज के स्थानों से भी प्रक्रिया को अंजाम दिया जा सकेगा।
चीफ जस्टिस ने अपने भाषण में यह भी कहा कि भारतीय न्याय संहिता की धारा 94 और एस-185 के मुताबिक, अदालतों को डिजिटल सबूत मंगाने के लिए समन देने का अधिकार है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ विशिष्ट सेवाओं के लिए प्रेसिडेंट पुलिस मेडल्स और उत्कृष्ट सेवा के सिए सीबीआई अधिकारियों को पुलिस मेडल भी दिया। चीफ जस्टिस ने अपने भाषण में जांच और अभियोजन में देरी देरी रोकने के लिए तकनीक का फायदा उठाने की जरूरत बताई।
उन्होंने कहा- हमें एक संस्थागत प्रतिबद्धता, विभिन्न विभागों के बीच वित्त, तालमेल और रणनीतियों की आवश्यकता है। चीफ जस्टिस ने यह भी कहा कि सीबीआई को मामलों के धीमे निपटान से निपटने के लिए एक रणनीति बनानी होगी। सिस्टम में आमूलचूल बदलाव के लिए उन्होंने तकनीक और उपकरणों के इस्तेमाल पर जोर दिया। देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले मामलों को जल्दी निपटाने की भी बात उन्होंने कही। उनका जोर इस बात पर था कि मामलों की जांच जल्दी होनी चाहिए और अभियोजन भी जल्दी पूरा होना चाहिए क्योंकि देरी न्याय देने में बाधक बनती है।