नई दिल्ली। सीबीआई जांच के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक अहम टिप्पणी की। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि सीबीआई की जांच के लिए राज्य सरकार की मंजूरी जरूरी है। अदालत ने कहा कि जब राज्य सरकार ने सीबीआई की जांच के लिए दी गई अपनी मंजूरी वापस ले ली है तो एजेंसी क्यों मुकदमे दर्ज कर रही है। यह कहते हुए अदालत ने राज्य सरकार की याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार कर ली।
असल में पश्चिम बंगाल में सीबीआई जांच के खिलाफ ममता बनर्जी की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक मई को याचिका लगाई थी। बुधवार, 10 जुलाई को कोर्ट ने इस याचिका को सुनवाई योग्य माना। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने केंद्र सरकार की इस दलील को खारिज कर दिया कि, यह अर्जी सुनवाई योग्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा- बंगाल सरकार ने कानूनी पहलू उठाया है, जिस पर विचार किया जाना चाहिए। कोर्ट इस मामले पर 13 अगस्त को अगली सुनवाई करेगा।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा- जब राज्य सरकार ने सीबीआई जांच के लिए दी गई अपनी मंजूरी को वापस ले लिया है तो फिर एजेंसी वहां के मामलों में केस क्यों दर्ज कर रही है? गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में संविधान के अनुच्छेद 131 का हवाला देते हुए याचिका दाखिल की है। इसमें सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र का जिक्र है। इसके मुताबिक केंद्र और राज्यों के बीच के मामलों की सुनवाई सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में की जाती है। राज्य सरकार और एजेंसी का विवाद संदेशखाली मामले से शुरू हुआ, जिसकी जांच सीबीआई हाई कोर्ट के आदेश से कर रही है। इसी को राज्य सरकार ने चुनौती दी है।