नई दिल्ली। गुजरात दंगों की पीड़ित बिलकिस बानो के दोषियों की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाया। सर्वोच्च अदालत ने सभी दोषियों की समय से पहले रिहाई को गलत बताया है और सबको फिर से जेल भेजने का आदेश दिया है। पिछले साल गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले जेल से रिहा हुए सभी 11 आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद फिर जेल जाना होगा। अदालत ने सभी दोषियों को दो हफ्ते के भीतर समर्पण करने का आदेश दिया है।
गौरतलब है कि गुजरात में 2002 दंगों के दौरान बिलकिस बानो गैंगरेप के 11 दोषियों को 2022 में गुजरात विधानसभा से पहले आजादी दिवस के मौक पर जेल से रिहा कर दिया गया था। दोषियों को समय से पहले जेल से रिहा करने के राज्य सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने सोमवार को फैसला सुनाते हुए कहा- सजा अपराध रोकने के लिए दी जाती है। पीड़ित की तकलीफ की भी चिंता करनी होगी।
दो जजों की बेंच ने कहा कि गुजरात सरकार को रिहाई का फैसला लेने का कोई अधिकार नहीं है। उसने अपनी सत्ता और ताकत का दुरुपयोग किया है। वह दोषियों को कैसे माफ कर सकती है। सुनवाई महाराष्ट्र में हुई है तो रिहाई पर फैसला भी वहीं की सरकार करेगी। जिस राज्य में अपराधी पर मुकदमा चलाया जाता है और सजा सुनाई जाती है, उसी को दोषियों की माफी याचिका पर फैसला लेने का अधिकार है। इस टिप्पणी के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मई 2022 में तत्कालीन जज जस्टिस अजय रस्तोगी के उस फैसले को भी रद्द कर दिया, जिसमें 11 दोषियों को गुजरात सरकार से शीघ्र माफी के लिए अपील करने की अनुमति दी गई थी।
गौरतलब है कि गुजरात सरकार ने इन दोषियों को 15 अगस्त 2022 को रिहा कर दिया था। बिलकिस के 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ 30 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल की गई थीं। पहली याचिका में 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती देते हुए उन्हें तुरंत वापस जेल भेजने की मांग की गई थी। दूसरी याचिका में सुप्रीम कोर्ट के मई में दिए आदेश पर विचार करने की मांग की गई थी। कोर्ट ने कहा था कि दोषियों की रिहाई पर फैसला गुजरात सरकार करेगी। बिलकिस ने कहा कि जब केस का ट्रायल महाराष्ट्र में चला था, फिर गुजरात सरकार फैसला कैसे ले सकती है? केस के सभी 11 दोषी आजादी के अमृत महोत्सव के तहत रिहा कर दिए गए थे।