पटना। बिहार में आरक्षण की सीमा बढ़ाने का बिल विधानसभा से पास हो गया। इस बिल में आरक्षण की सीमा 15 फीसदी बढ़ाने का प्रावधान किया गया है। राजद नेता और बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के जन्मदिन के मौके पर गुरुवार को यह बिल पेश किया गया और पास करा लिया गया। संक्षिप्त चर्चा के बाद बिहार विधानसभा ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अति पिछड़ा वर्गों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण की मौजूदा सीमा 50 फीसदी को बढ़ा कर 65 फीसदी करने के प्रस्ताव को गुरुवार को मंजूरी दे दी।
शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में इन वर्गों के आरक्षण को बढ़ाने के प्रस्ताव वाले विधेयकों को विधानसभा ने ध्वनि मत के जरिए पारित कर दिया। राज्य की मुख्य विपक्षी भारतीय जनता पार्टी ने भी विधेयक का समर्थन किया। अब इस बिल को मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। गौरतलब है कि झारखंड और छत्तीसगढ़ में भी आरक्षण की सीमा बढ़ाने का बिल पास किया गया है लेकिन उसे राज्यपाल की मंजूरी नहीं मिली। बिहार के राज्यपाल भी अगर मंजूरी नहीं देते हैं तो भाजपा की मंशा पर सवाल उठेगा।
बहरहाल, गुरुवार को पास किए गए बिल के मुताबिक अनुसूचित जनजाति के लिए मौजूदा आरक्षण एक से बढ़ा कर दो फीसदी किया जाएगा। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण 16 से बढ़ा कर 20 फीसदी किया जाएगा। अति पिछड़ा यानी ईबीसी के लिए आरक्षण 18 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी और अन्य पिछड़ा यानी ओबीसी के लिए आरक्षण को 12 से बढ़ा कर 18 फीसदी किया जाएगा।
इससे पहले गुरुवार को विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही मुख्य विपक्षी भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा दो दिन पहले विधानसभा में शादीशुदा जोड़ों के यौन शब्दों को लेकर की गई कथित विवादित टिप्पणी सहित कई अन्य मुद्दों को लेकर हंगामा किया। इसकी वजह से सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। दो बजे के बाद कार्यवाही शुरू हुई तो आरक्षण बढ़ाने का बिल पेश किया गया।