ढाका। बांग्लादेश में आरक्षण के खिलाफ चल रहा आंदोलन बहुत हिंसक हो गया है। शुक्रवार को आंदोलनकारियों ने एक जेल पर हमला करके सैकड़ों कैदियों को आजाद करा दिया। गौरतलब है कि बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को आरक्षण देने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन चल रहा है। इन प्रदर्शनों में बड़ी संख्या में छात्र शामिल हैं। प्रदर्शनकारी ने शुक्रवार को नरसिंगडी जिले में एक जेल पर धावा बोल दिया। उन्होंने सैकड़ों कैदियों को जेल से छुड़ाने के बाद वहां पर आग लगा दी। पुलिस के जानकार सूत्रों का कहना है कि उन्हें कैदियों की संख्या के बारे में ठीक ठीक पता नहीं है लेकिन यह संख्या सैकड़ों में हो सकती है।
इससे पहले गुरुवार को प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश के मुख्य सरकारी टीवी चैनल बीटीवी के मुख्यालय में आग लगा दी थी। सैकड़ों प्रदर्शनकारी बीटीवी ऑफिस के कैंपस में घुस गए और 60 से ज्यादा गाड़ियां जला दीं। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने एक दिन पहले ही बीटीवी को इंटरव्यू दिया था। बताया जा रहा है कि इस हफ्ते अब तक कम से कम 64 लोग मारे जा चुके हैं और ढाई हजार से अधिक लोग घायल हुए हैं। गुरुवार, 18 जुलाई को सबसे अधिक हिंसक हुई थी। स्थानीय मीडिया के मुताबिक इस दिन 30 से अधिक लोगों की मौत हुई।
बांग्लादेश में चल रही हिंसा के बाद वहां से भारतीय लोगों का पलायन शुरू हो गया है। बताया जा रहा है कि हिंसा के बाद से तीन सौ से अधिक भारतीय, नेपाली और भूटानी नागरिक मेघालय पहुंच गए हैं। इनमें से अधिकांश छात्र हैं। असम सरकार ने कहा कि वह पड़ोसी देश में रह रहे अपने लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विदेश मंत्रालय के संपर्क में है। गौरतलब है कि बांग्लादेश में शुरू में स्वतंत्रता सेनानियों यानी 1971 में बांग्लादेश को मुक्त कराने की लड़ाई में शामिल रहे लोगों के बेटे, बेटियों को ही आरक्षण मिलता था लेकिन 2009 से इसमें पोते, पोतियों को भी जोड़ दिया गया। इसके खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं।