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पेपर लीक रोकने का कानून लागू

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने प्रतियोगिता और प्रवेश परीक्षाओं में होने वाली गड़बड़ियों और पेपर लीक आदि को रोकने के लिए बनाए गए कानून को लागू कर दिया है। संसद से पास होकर कानून बन जाने के चार महीने बाद इसे लागू किया गया है। 21 जून की आधी रात को अचानक इसे लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी गई। गौरतलब है कि इस समय केंद्र सरकार नीट-यूजी की परीक्षा में पेपर लीक से लेकर कई तरह की गड़बड़ियों के आरोपों को लेकर परेशान है। इस पर विपक्ष ने भी आंदोलन तेज कर दिया है और छात्र भी नाराज हैं।

इस बीच केंद्र सरकार ने पब्लिक एग्जामिनेशन (प्रिवेंशन ऑफ अनफेयर मीन्स) एक्ट, 2024 लागू कर दिया है। केंद्र सरकार ने शुक्रवार यानी 21 जून की आधी रात इसकी अधिसूचना जारी की। यह कानून भर्ती और प्रवेश परीक्षाओं में पेपर लीक, नकल और अन्य गड़बड़ियां रोकने के लिए लाया गया है। इस कानून के तहत, पेपर लीक करने या आंसर शीट के साथ छेड़छाड़ करने पर कम से कम तीन साल जेल की सजा होगी। इसे 10 लाख रुपए तक के जुर्माने के साथ पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है।

कानून में यह प्रावधान किया गया है कि परीक्षा संचालन के लिए नियुक्त सेवा प्रदाता अगर दोषी होता है तो उसे पांच से 10 साल तक की जेल की सजा और एक करोड़ रुपए तक जुर्माना हो सकता है। सेवा प्रदाता अगर अवैध गतिविधियों में शामिल होता है, तो उससे परीक्षा के आयोजन पर होने वाला खर्च भी वसूला जाएगा। पिछले कुछ समय से पेपर लीक की घटनाएं बहुत बढ़ गई हैं उसे देखते हुए यह बड़ा फैसला है।

गौरतलब है कि इससे पहले, केंद्र सरकार और जांच एजेंसियों के पास परीक्षाओं में गड़बड़ी से जुड़े अपराधों से निपटने के लिए अलग से कोई ठोस कानून नहीं था। सारे मुकदमे भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की अलग अलग धाराओं के तहत दर्ज होते थे। तभी इस साल संसद के बजट सत्र में छह फरवरी को लोकसभा से और नौ फरवरी को राज्यसभा से नया कानून पारित हुआ था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 12 फरवरी को बिल को मंजूरी देकर इसे कानून में बदल दिया। हालांकि अभी यह तय नहीं है कि नीट-यूजी में पेपर लीक के अलावा अन्य गड़बड़ियों की जो शिकायतें आई हैं उन पर यह कानून लागू होगा या नहीं? पहले इस मामले में जो मुकदमे दर्ज हुए हैं वो आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत हैं।

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By NI Desk

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