नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए पर अमेरिका के चिंता जताने वाले बयान को लेकर भारत ने जवाब दिया है। भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है- नागरिकता संशोधन कानून 2019 भारत का आंतरिक मामला है और इस पर अमेरिका का बयान गलत है। America monitoring implementation of caa
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा- जिन लोगों को भारत की परंपराओं और विभाजन के बाद के इतिहास की समझ नहीं है, उन्हें लेक्चर देने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। भारत के सहयोगी देशों को इस कानून के पीछे भारत की सोच और इरादों का समर्थन करना चाहिए।
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गौरतलब है कि, इस कानून को लेकर अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था- हम 11 मार्च को आए सीएए को लेकर चिंतित हैं। इस कानून को कैसे लागू किया जाएगा, इस पर हमारी नजर रहेगी। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा था- धार्मिक स्वतंत्रता का आदर करना और कानून के तहत सभी समुदायों के साथ बराबरी से पेश आना लोकतांत्रिक सिद्धांत है।
इसका जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा- सीएए नागरिकता देने के बारे में है, नागरिकता छीनने के बारे में नहीं। यह मानवीय गरिमा और मानवाधिकारों का समर्थन करता है। यह सबको साथ लेकर चलने की भारतीय परंपरा का प्रतीक है। उन्होंने कहा-सीएए अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के उन अल्पसंख्यकों को सुरक्षित पनाह देता है, जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आ चुके हैं।
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गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 11 मार्च को नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए की अधिसूचना जारी की थी। इसके साथ ही यह कानून देश भर में लागू हो गया। सरकार ने इस कानून के तहत नागरिकता हासिल करने के लिए वेबपोर्टल भी लॉन्च कर दिया है। इस कानून से पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो गया।