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केजरीवाल पर फैसला सुरक्षित

नई दिल्ली। शराब नीति में हुए कथित घोटाले में गिरफ्तार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर ली है। केजरीवाल के वकील और सीबीआई के वकील की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया। इससे पहले सर्वोच्च अदालत ने शराब नीति से जुड़े कथित धन शोधन के मामले में केजरीवाल को जमानत दे दी थी। सीबीआई के मामले में जमानत की याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें एजेंसी ने जमानत का विरोध किया।

केजरीवाल के वकील अभिषेक सिंघवी ने अदालत में कहा कि केजरीवाल को इसलिए गिरफ्तार किया गया, ताकि वे जेल से बाहर ना आ सकें जबकि जमानत नियम और जेल अपवाद है। मनीष सिसोदिया को जमानत देते वक्त कोर्ट ने यही कहा था। गौरतलब है कि केजरीवाल को पहले ईडी ने गिरफ्तार किया था और उसके काफी समय बाद सीबीआई ने उनको तिहाड़ जेल से ही गिरफ्तार किया। बहरहाल, जमानत का विरोध करते हुए सीबीआई ने कहा कि केजरीवाल को जमानत के लिए पहले ट्रायल कोर्ट जाना चाहिए, सीधे सुप्रीम कोर्ट नहीं आना चाहिए। अगर उन्हें जमानत मिली तो हाई कोर्ट को निराशा होगी। हालांकि सर्वोच्च अदालत ने कहा कि हाई कोर्ट की निराशा की बात नहीं होनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट में दो जजों, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जवल भुइयां की बेंच ने केजरीवाल की जमानत पर सुनवाई की। गौरतलब है कि केजरीवाल को शराब नीति से जुड़े ईडी के मामले में सुप्रीम कोर्ट से ही 12 जुलाई को जमानत मिल चुकी है। इस केस में आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह, दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और भारत राष्ट्र समिति की नेता के कविता को जमानत दी जा चुकी है।

बहरहाल, केजरीवाल की जमानत पर सुनवाई के दौरान उनके वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा- यह अनोखा मामला है। पीएमएलएल के सख्त नियमों के बावजूद केजरीवाल को दो बार जमानत दे दी गई। तो सीबीआई केस में जमानत क्यों नहीं मिल सकती है। उन्होंने कहा- सीबीआई ने दलील दी है कि केजरीवाल सहयोग नहीं कर रहे हैं। कोर्ट के ही आदेश में कहा गया है कि यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि आरोपी खुद को दोषी बता दे।

सिंघवी ने कहा- अदालत को तीन सवालों पर ध्यान देना है। पहला, क्या केजरीवाल के भाग जाने का खतरा है? दूसरा, क्या वे सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं और तीसरा, क्या केजरीवाल गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं? खुद ही इसका जवाब देते हुए सिंघवी ने कहा- केजरीवाल एक संवैधानिक पद पर हैं, उनके भागने की कोई आशंका नहीं, सबूतों से छेड़छाड़ नहीं हो सकती, क्योंकि लाखों दस्तावेज और पांच आरोपपत्र मौजूद हैं। गवाहों को प्रभावित करने का खतरा भी नहीं है। दूसरी ओर सीबीआई ने कहा- केजरीवाल को लगता है कि वे एक खास आदमी हैं, जिनके लिए अलग व्यवस्था होनी चाहिए। हमारा कहना है कि गिरफ्तारी पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट पहली अदालत नहीं होनी चाहिए। केजरीवाल को ट्रायल कोर्ट जाना चाहिए।

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