राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

मनमाने तरीके से नहीं चलेगा बुल़डोजर

Image Source: ANI

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों के बुलडोजर न्याय पर रोक लगा दी है। सर्वोच्च अदालत ने अपने अहम फैसले में कहा है कि कोई भी सरकार मनमाने तरीके से बुलडोजर चला कर किसी का घर नहीं तोड़ सकती है। इतना ही नहीं अदालत ने अधिकारियों को भी फटकार लगाई है और कहा है कि अधिकारी जज नहीं बन सकते हैं। अदालत ने शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत के हवाले कहा कि कार्यपालिका को न्यायपालिका का काम नहीं करना चाहिए।

अनेक राज्यों बुलडोजर चला कर आरोपियों का घर गिराने के मामलों पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक 15 सूत्री दिशा निर्देश भी तैयार किया है। अदालत ने इस मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा कहा- घर सबका सपना होता है, ये बरसों का संघर्ष है और सम्मान की निशानी। अगर घर गिराया जाता है तो अधिकारी को साबित करना होगा कि यही आखिरी रास्ता था। अफसर खुद जज नहीं बन सकते।

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने बुलडोजर कार्रवाई पर पूरे देश के लिए 15 दिशा निर्देश जारी किए। अदालत ने कहा कि अगर किसी का घर गिराने का फैसला कर लिया गया है तो उसे 15 दिन का समय दिया जाए। घर गिराने की कार्रवाई की वीडियोग्राफी जरूरी है। अगर कोई अधिकारी गाइडलाइन का उल्लंघन करता है तो उसे अपने खर्च पर दोबारा संपत्ति का निर्माण कराना होगा और मुआवजा भी देना होगा। अदालत ने कहा- अपना घर हो, अपना आंगन हो, इस ख्वाब में हर कोई जीता है। इंसान के दिल की ये चाहत है कि एक घर का सपना कभी न छूटे।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में लगातार बुलडोजर एक्शन के बाद जमीयत उलेमा ए हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। उसने आरोप लगाया था कि भाजपा शासित राज्यों में मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है और बुलडोजर एक्शन लिया जा रहा है। इस मामले पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि अदालत अपने फैसले से सररकारों के हाथ न बांधे। सरकार का कहना था- किसी की भी संपत्ति इसलिए नहीं गिराई गई है, क्योंकि उसने अपराध किया है। आरोपी के अवैध अतिक्रमण पर कानून के तहत कार्रवाई की गई है।

फैसला सुनाते हुए जस्टिस बीआर गवई ने कहा- एक आदमी हमेशा सपना देखता है कि उसका आशियाना कभी ना छीना जाए। हर एक का सपना होता है कि सिर पर छत हो। क्या अधिकारी ऐसे आदमी की छत ले सकते हैं, जो किसी अपराध में आरोपी हो? आरोपी हो या फिर दोषी हो, क्या उसका घर बिना तय प्रक्रिया का पालन किए गिराया जा सकता है? अदालत ने कहा- अगर कोई व्यक्ति सिर्फ आरोपी है, ऐसे में उसकी प्रॉपर्टी को गिरा देना पूरी तरह असंवैधानिक है। अधिकारी यह तय नहीं कर सकते हैं कि कौन दोषी है, वे खुद जज नहीं बन सकते हैं कि कोई दोषी है या नहीं। यह सीमाओं को पार करना हुआ। अदालत ने कहा कि किसी का घर गिराना उसके पूरे परिवार को सजा देने की तरह है।

By NI Desk

Under the visionary leadership of Harishankar Vyas, Shruti Vyas, and Ajit Dwivedi, the Nayaindia desk brings together a dynamic team dedicated to reporting on social and political issues worldwide.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *