नई दिल्ली। जेल में बंद नेताओं का चुनाव लड़ना भारत में बहुत आम है। पिछले साल लोकसभा चुनाव में जम्मू कश्मीर और पंजाब के दो अलगाववादी जेल से चुनाव लड़े और जीत कर सांसद बने। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तीखी टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस पंकज मित्तल ने कहा कि जेल से चुनाव लड़ने पर रोक लगनी चाहिए। असल में अदालत को जेल में बंद ताहिर हुसैन की याचिका पर सुनवाई करनी थी, जो दिल्ली विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं।
जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच के सामने सोमवार को यह मामला सूचीबद्ध था, लेकिन सुनवाई नहीं ही सकी। ताहिर हुसैन की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ अग्रवाल ने मंगलवार को सुनवाई करने का अनुरोध किया। इस पर जस्टिस मित्तल ने कहा, ‘अब तो जेल में बैठकर चुनाव लड़ते हैं। जेल में बैठकर चुनाव जीतना आसान है। इन सभी को चुनाव लड़ने से रोका जाना चाहिए’। इस पर ताहिर के वकील ने कहा कि उनका नामांकन स्वीकार किया जा चुका है। इसके बाद कोर्ट ने याचिका मंगलवार की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर ली है।
गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन को असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एमआईएम ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए मुस्तफाबाद सीट से टिकट दिया है। ताहिर पर दिल्ली दंगों के दौरान 25 फरवरी 2020 को आईबी अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या करने का आरोप है। ताहिर ने चुनाव प्रचार के लिए हाई कोर्ट से 14 जनवरी से नौ फरवरी तक अंतरिम जमानत मांगी थी। बाद में अदालत ने उनको नामांकन भरने के कस्टडी पैरोल दे दी थी। उनके वकील ने इस आधार पर जमानत मांगा है कि जम्मू कश्मीर में इंजीनियर रशीद को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी गई थी।