इम्फाल। मणिपुर में सितंबर के पहले हफ्ते में हुई हिंसा के बाद बिष्णुपुर जिले में बुधवार को कर्फ्यू के बावजूद मैती समुदाय के हजारों लोगों ने प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने राजधानी इम्फाल और चुराचांदपुर रोड पर फौगाकचाओ इखाई के टिडिमरोड पर सेना की ओर से लगाए गए बैरिकेड्स को हटा दिया। इसके बाद क्वाक्टा में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और फायरिंग भी की। इससे 25 लोग घायल हो गए, जिनमें ज्यादातर महिलाएं थीं।
पुलिस की फायरिंग के बावजूद प्रदर्शनकारी बैरिकेड्स की ओर बढ़ते रहे और बैरिकेड्स हटा दिए। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने पांच जिलों- इम्फाल पश्चिम, इम्फाल पूर्व, बिष्णुपुर, थौबल और काकचिंग में मंगलवार की शाम से अनिश्चितकाल के लिए कर्फ्यू लगाया है। गौरतलब है कि इससे पहले चुराचांदपुर और विष्णुपुर के बीच बने बफर जोन में कई बार फायरिंग हुई, जिसमें 12 लोगों की मौत हो गई।
इस बीच मणिपुर में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के तीन सदस्यों के ऊपर दर्ज मुकदमे का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। गिल्ड ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इस पर सर्वोच्च अदालत ने सभी सदस्यों को राहत दे दी है। इससे पहले चार सितंबर को मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने बताया कि उन्होंने एडिटर्स गिल्ड की अध्यक्ष सीमा मुस्तफा, सीमा गुहा, भारत भूषण और संजय कपूर पर एफआईआर कराई है। उन्होंने कहा कि गिल्ड अपनी रिपोर्ट्स के जरिए झूठ फैला रहा है और गलत तथ्य पेश कर रहा है। इससे राज्य में हिंसा और तनाव बढ़ सकता है। असल में गिल्ड ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था हिंसा रोकने में सरकार ने पक्षपात किया था।