इंदौर/ग्वालियर। चुनाव के समय आमतौर पर देखने को मिलता है कि टिकट नहीं मिलने से नेता दुखी होते हैं। लेकिन भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का मामला दूसरा है। वे टिकट मिलने से दुखी हैं। उन्होंने कहा है कि वे बिल्कुल चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे। गौरतलब है कि भाजपा ने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी की तो उसमें तीन केंद्रीय मंत्रियों सहित सात सांसदों के नाम शामिल किए और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को भी टिकट दिया।
इसे लेकर विजयवर्गीय ने कहा- मैं अंदर से दुखी हूं कि मुझे पार्टी ने विधानसभा का उम्मीदवार बनाया। मेरा चुनाव लड़ने का एक फीसदी भी मन नहीं था। उन्होंने आगे कहा कि वे अब बड़े नेता हो गए हैं। उनका प्लान था कि वे चुनाव में रोजाना चार-पांच जनसभा करते, हेलीकॉप्टर से प्रचार करते। अब वह जनता के बीच जाकर हाथ नहीं जोड़ना चाहते। गौरतलब है कि कैलाश विजयवर्गीय को पार्टी ने इंदौर-एक विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है। टिकट मिलने के बाद उन्होंने कहा कि एक पिता होने के नाते उन्हें अच्छा नहीं लगा कि बेटे का टिकट काटकर वे खुद चुनाव लड़ें। पिछली बार उन्होंने बेटे के लिए ही चुनाव लड़ना छोड़ा था। उनका बेटा आकाश इंदौर-तीन सीट से विधायक है।
उधर विधानसभा टिकट मिलने के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर बुधवार को पहली बार ग्वालियर पहुंचे। उन्होंने पार्टी का टिकट मिलने पर कहा कि केंद्रीय मंत्री हों, सांसद हों या अन्य व्यक्ति, पहले वह पार्टी का कार्यकर्ता है। चुनाव समिति ने निर्णय लिया है तो चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि कुल मिलाकर कांग्रेस भयभीत है। पीएम नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता से इसलिए इसलिए वह भ्रम फैलाकर अपना काम चला रही है। उन्होंने कहा- हम लोगों को अंदाजा था कि हमें टिकट मिलेगा क्योंकि पार्टी तो बात करती है न। अगली सूची में ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी विधानसभा का टिकट मिलने की संभावना को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा- थोड़ा आगे देखो।