भोपाल | राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मध्य क्षेत्र कार्यकारिणी सदस्य यशवंत इंदापुरकर ने कहा कि भारत 1947 में स्वतंत्र हो गया। साथ ही लेकिन उसे स्वाधीनता में बदलने का आंदोलन अभी चल रहा हैं। और अंग्रेजों ने कुटिलतापूर्वक शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन करके भारत को मानसिक गुलाम बना दिया।
भारत की स्वतंत्रता की कहानी: इंदापुरकर के शब्दों में
इंदापुरकर ने कल विश्व संवाद केंद्र की ओर से आयोजित देवर्षि नारद जयंती समारोह एवं परिचर्चा को संबोधित करते हुए और उन्होंने कहा कि भारत 1947 में स्वतंत्र हो गया। और लेकिन उसे स्वाधीनता में बदलने का आंदोलन अभी भी चल रहा हैं। और अंग्रेजों ने कुटिलता पूर्वक शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन करके भारत को मानसिक गुलाम बना दिया। और साथ ही इससे उबरने का केवल एक ही तरीका हैं – जनजागरण। और यही कार्य देवर्षि नारद करते थे।
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में दूरदर्शन के वरिष्ठ संपादक अशोक श्रीवास्तव उपस्थित रहे। और साथ ही अध्यक्षता विश्व संवाद केंद्र न्यास के अध्यक्ष लक्ष्मेंद्र माहेश्वरी ने की।
स्वतंत्रता संग्राम एक नज़र
सांस्कृतिक पुनर्जागरण और मीडिया की भूमिका विषय पर इंदापुरकर ने कहा कि डॉ हेडगेवार ने 1911 में कहा था कि समाज में जागरुकता और प्रशिक्षण बेहद आवश्यक है। सभी मनीषियों का मानना है कि जब तक संपूर्ण समाज नहीं बदलेगा, तब तक भारत का स्वप्न पूरा नहीं हो सकता।
देवर्षि नारद का नाम कलह कराने वाले के रूप में ही किया जाता रहा। और लेकिन उस विचार को बदलने का काम हम सबने किया हैं। और साथ ही अब पत्रकार ने अपने आद्य पुरुष को पहचान लिया है। तो हमें अपने आसपास घटित होने वाली चीजों को भी देखना होगा।
एक विशेष रिपोर्ट
इस अवसर पर पत्रकार एवं डीडी न्यूज नई दिल्ली के संपादक अशोक ने कहा कि हमें बचपन से अकबर की वंशावली पढ़ाई गई, लेकिन राम की नहीं। यह सब योजना पूर्वक किया गया।
हमें किताबों में यह तो पढ़ाया गया कि अकबर महान थे। बाबर महान थे। शुरु से हमें अकबर की वंशावली पढ़ाई गई, लेकिन राम की वंशावली नहीं पढ़ाई गई। इस प्रकार भारत की विरासत को खत्म किया गया। राम मंदिर आंदोलन को धार्मिक प्रगति का सबसे बड़ा प्रतीक बताया।
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