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राजस्थान में जनजाति बालक-बालिकाओं की शिक्षा प्राथमिक मुद्दा

ByNI Desk,
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Image Credit: India Fellow

राजस्थान में जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग (टीएडी) ने जनजाति समाज के बालक-बालिकाओं के लिए शिक्षा और उनके शैक्षणिक उत्थान को प्राथमिक मुद्दा बनाया हैं। साथ ही इस उद्देश्य को हासिल करने के लिए वर्तमान में विभाग की विभिन्न योजनाएं संचालित हैं। और जो समाज के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और शैक्षणिक उत्थान में मील का पत्थर साबित हो रही हैं।

आधिकारिक जानकारी के मुताबिक इन योजनाओं में मुख्य रूप से जनजाति समुदाय के बालक-बालिकाओं को मौलिक शिक्षा के साथ-साथ समाज में समाहित और समर्थ नागरिक बनाने हेतु निःशुल्क आवासीय विद्यालयों एवं छात्रावासों की योजनाएं संचालित की जा रही है। उदयपुर जिले के अनुसूचित क्षेत्र में 5 हजार 535 बालक-बालिकाओं की क्षमता के 85 आश्रम छात्रावास (44 बालक छात्रावास, 41 बालिका छात्रावास) माडा क्षेत्र में सौ विद्यार्थियों की क्षमता वाले एक बालक आश्रम छात्रावास तथा बिखरी क्षेत्र में पचास-पचास विद्यार्थियों की क्षमता के 3 बालिका आश्रम छात्रावास संचालित किये जा रहे है।

जिले में 2 हजार 50 विद्यार्थियों की क्षमता के 8 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं। और इसके अलावा 350 विद्यार्थियों की क्षमता का एक बालिका आवासीय विद्यालय और 350 विद्यार्थियों की क्षमता का उदयपुर के ढिकली में एक मॉडल पब्लिक आवासीय विद्यालय भी संचालित किया जा रहा हैं।

अनुसूचित क्षेत्र में जनजाति छात्रों को खेल-कूद हेतु प्रोत्साहित करने तथा उन्हें राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं के लिए तैयार करने के उद्देश्य से 250 विद्यार्थियों की क्षमता के 4 खेल छात्रावास.खेल अकादमी संचालित किये जा रहे है जिसमें 75 की क्षमता की एक बालिका खेल अकादमी भी शामिल है। इनमें विद्यार्थियों निःशुल्क आवास, भोजन, पोशाक एवं अन्य सुविधाएं उपलब्ध करायी जाती है। और इसके साथ ही जिले में दो सौ विद्यार्थियों की क्षमता वाला एक बालिका छात्रावास भी चलाया जा रहा हैं।

गत शैक्षणिक सत्र में विभाग द्वारा अनुसूचित क्षेत्र में 304 आश्रम छात्रावासों के संचालन हेतु 130 करोड़ रुपये की धनराशि के खर्च का प्रावधान किया गया था, इसी प्रकार 13 खेल छात्रावासों के संचालन हेतु 7 करोड़ 15 लाख रुपये का वित्तीय प्रावधान किया गया। सात आवासीय विद्यालय.मॉडल पब्लिक रेजिडेंशियल स्कूलों के संचालन हेतु 17 करोड़ 82 लाख का वित्तीय प्रावधान तथा 13 कॉलेज छात्रावास और इन छात्रावासों के संचालन के लिए 4 करोड़ 84 लाख के बजट का प्रावधान भी किया गया।

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