नई दिल्ली। दिल्ली सरकार और दिल्ली के आईएएस अधिकारियों का झगडा एक नए मुकाम पर पहुंच गया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार को 897 करोड़ रुपए के कथित घोटाले में पद से हटाने की सिफारिश की है। इतना ही नहीं उन्होंने इस कथित घोटाले की जांच के लिए मामले को सीबीआई और ईडी को भेजने का भी निर्देश दिया है। गौरतलब है कि द्वारका की एक जमीन का मुआवजा देने के मामले में आम आदमी पार्टी मुख्य सचिव पर आरोप लगा रही है।
इस मामले में केजरीवाल ने बुधवार को उप राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को चिट्ठी लिख कर नरेश कुमार पर 897 करोड़ के भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। केजरीवाल ने बताया कि उन्हें नरेश कुमार के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत मिली थी। 11 नवंबर को मामले की जांच के आदेश दिए गए थे। इसके बाद विजिलेंस विभाग की मंत्री आतिशी ने तीन दिनों में जांच करवा कर 14 नवंबर को रिपोर्ट केजरीवाल को सौंपी। इस आधा पर मुख्यमंत्री ने बुधवार को उप राज्यपाल को चिट्ठी लिखकर नरेश कुमार को पद से हटाने की सिफारिश की।
केजरीवाल ने चिट्ठी के साथ जांच रिपोर्ट भी उप राज्यपाल को भेजी है। उन्होंने विजिलेंस विभाग की मंत्र आतिशी को निर्देश दिया कि वो जांच रिपोर्ट सीबीआई और ईडी को भी भेज दें। गौरतलब है कि, दिल्ली में बने द्वारका एक्सप्रेस वे के लिए भूमि अधिग्रहण में गड़बड़ी होने की बात सामने आने पर आतिशी ने इस मामले की जांच कराई। इस जांच में कथित तौर पर पाया गया कि नरेश कुमार ने अपने बेटे से जुड़ी कंपनियों को 897 करोड़ का फायदा पहुंचाया है।
आतिशी की रिपोर्ट में दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार और डिविजनल कमिश्नर अश्विनी कुमार को तुरंत उनके पदों से हटाने और जांच होने तक निलंबित रखने की सिफ़ारिश की गई है। ताकि वो जांच को प्रभावित नहीं कर सकें। उन्होंने मामले से जुड़ी सभी फाइलों को तुरंत जब्त करने को भी कहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मुख्य सचिव और जमीन मालिकों के ऐसे संबंध हैं, जिनको खारिज नहीं किया जा सकता। इसमें कहा गया है कि मुख्य सचिव का बेटा करण चौहान अनंत राज ग्रुप के कारोबार से जुड़ा है, जो जमीन मालिकों का दामाद है। रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला गया है कि पहली नजर में मुख्य सचिव की तत्कालीन डीएम हेमंत कुमार और जमीन मालिकों के साथ मिलीभगत दिखती है।