सोल। दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक योल महाभियोग से बच गए हैं। उनकी सत्तारूढ़ पार्टी के सांसदों ने संसद के बाहर जबरदस्त विरोध प्रदर्शन के बावजूद वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। उनकी पार्टी के सांसद उनके द्वारा देश में मार्शल लॉ लागू करने का विरोध कर रहे थे। लेकिन उन्होंने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया।
असल में विपक्षी पार्टियों ने महाभियोग प्रस्ताव रखा था, जिसे पारित करने के लिए दो तिहाई बहुमत की जरूरत थी। यून की पीपुल पावर पार्टी के लगभग पूर्ण बहिष्कार के कारण यह प्रस्ताव विफल हो गया। यून ने मंगलवार को मार्शल लॉ लगाकर देश और दुनिया को चौंका दिया था। हालांकि छह घंटे के बाद ही उन्होंने अपना यह फैसला पलट दिया था और बाद में इसके लिए माफी भी मांगी थी।
बहरहाल, महाभियोग प्रस्ताव के बाद नेशनल असेंबली के स्पीकर वू वोन-शिक ने कहा- मतदान करने वाले सदस्यों की संख्या आवश्यक दो तिहाई बहुमत तक नहीं पहुंची। इसलिए महाभियोग वोट वैध नहीं था। उन्होंने कहा कि देश और दुनिया देख रही थी यह बहुत अफसोस की बात है कि इतने महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दे पर भी वोट नहीं हो सका। उन्होंने कहा कि यह सत्तारूढ़ दल की ओर से लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल होने में विफलता को दिखाता है।
राष्ट्रपति की पार्टी पीपीपी ने मतदान के बाद दावा किया कि उसने गंभीर विभाजन और अराजकता से बचने के लिए महाभियोग को रोक दिया और कहा कि वह इस संकट को अधिक व्यवस्थित और जिम्मेदार तरीके से हल करेगी।