नई दिल्ली। लद्दाख को राज्य का दर्जा देने सहित कई और मांग लेकर लद्दाख से पैदल चल कर दिल्ली पहुंचे जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को जंतर मंतर पर अनशन की इजाजत नहीं मिली है। दिल्ली पुलिस ने उनको इसकी अनुमति नहीं दी। इससे पहले 30 सितंबर की दिल्ली की सीमा पर पहुंचने पर उनको और उनके साथियों को हिरासत में ले लिया गया था। कई घंटे तक हिरासत में रखने के बाद उनको दो अक्टूबर को महात्मा गांधी की समाधि राजघाट तक जाने दिया गया था।
सोनम वांगचुक ने जंतर मंतर पर अनशन की अनुमति नहीं मिलने के बाद रविवार सुबह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा- एक और अस्वीकृति, एक और निराशा। आखिरकार आज सुबह हमें विरोध प्रदर्शन के लिए आधिकारिक रूप से तय स्थान के लिए ये अस्वीकृति पत्र मिला। उन्होंने लिखा- हम एक औपचारिक जगह पर शांतिपूर्ण तरीके से अनशन करना चाहते थे। लेकिन बीते दो तीन दिन से ऐसी कोई जगह हमें नहीं दी गई है। लद्दाख भवन में हमें डिटेन करके रखा गया है। हम यहीं से अनशन कर रहे हैं।
सोनम वांगचुक ने आगे लिखा- हमारे सारे सैकड़ों लोग लेह से दिल्ली चलकर आए हैं। इनमें महिलाएं, भूतपूर्व सैनिक, 75 साल के भी वृद्ध शामिल हैं। हम सभी लद्दाख भवन में अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठेगें। वांगचुक और उनके साथ आए करीब डेढ़ सौ लोगों का जत्था लद्दाख को पूर्ण राज्य बनाने, स्थानीय लोगों के लिए नौकरी में आरक्षण, लेह और कारगिल के लिए एक एक संसदीय सीट और संविधान की छठी अनुसूची लागू करने की मांग कर रहे हैं। वे 30 दिन की पैदल यात्रा कर 30 सितंबर की रात दिल्ली पहुंचे थे।
उन्होंने कहा है- हमने राजघाट पर अपना अनशन तोड़ था। शीर्ष नेताओं से मुलाकात पर अनौपचारिक चर्चा हुई। हमें मुलाकात का आश्वासन दिया था लेकिन कोई तारीख तक नहीं मिली। उन्होंने कहा कि इसलिए हम राजघाट पर तोड़े अपने अनशन को दोबारा करने के लिए मजबूर हुए। हमें पीएम मोदी, गृह मंत्री शाह या राष्ट्रपति से मुलाकात का समय नहीं दिया गया है।