ढाका। प्रधानमंत्री शेख हसीना को बांग्लादेश के प्रदर्शनकारियों ने देश से भगा दिया। प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री के घर ‘गणभवन’ में घुस गए। लूटपाट की। वही एक रिपोर्ट के अनुसार राजधानी के 3/ए धानमंडी स्थित हसीना के पार्टी कार्यालय को प्रदर्शनकारियों ने आग लगा जला दिया। अपुष्ट खबरों के अनुसार शेख हसीना ने अपनी बहन और बेटी के साथ हेलिकॉप्टर से ढाका छोडा। खबर को लिखते वक्त यह खबर है कि शेख हसीना का विमान दिल्ली से लगे गाजियाबाद स्थित हिंडन एयरबेस पर उतरा। वे दिल्ली में है।
हसीना के देश छोड़कर चले जाने की खबरों के बीच सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमां ने टेलीविजन संबोधन में कहा, “मैं (देश की) सारी जिम्मेदारी ले रहा हूं। कृपया सहयोग करें।” उनके अनुसार शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया है। और सेना अब अंतरिम सरकार कार्यभार संभालेगी।
प्रदर्शनकारियों ने ढाका में शेख हसीना के पिता मुजीबुर रहमान की प्रतिमा को हथौड़ों से तोड़ दिया। प्रदर्शनकारी हसीना के जाने का जश्न मना रहे थे। हसीना सरकार के खिलाफ पिछले महिने विरोध प्रदर्शन शुरू हुए थे। 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में लड़ने वालों के परिवारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण देने वाली कोटा प्रणाली को समाप्त करने की मांग के साथ यह आंदोलन शुरू हुआ था. जो बाद में सरकार विरोधी प्रदर्शनों में बदल गए।
देश भर में बढ़ते विरोध प्रदर्शनों के बीच सेना प्रमुख ने कहा कि उन्होंने सेना और पुलिस दोनों से गोली न चलाने को कहा है। जमां ने प्रदर्शनकारियों से संयम बरतने और हिंसा बंद करने का आग्रह किया। उन्होंने सभी लोगों के लिए “न्याय” का संकल्प व्यक्त किया।
सरकार ने प्रदर्शनकारियों के आम जनता से ‘लॉन्ग मार्च टू ढाका’ में भाग लेने का आह्वान करने के बाद इंटरनेट को पूरी तरह बंद करने का सुबह आदेश दिया। एक सरकारी एजेंसी ने हालांकि सोमवार को अपराह्न करीब सवा एक बजे ब्रॉडबैंड इंटरनेट शुरू करने का मौखिक आदेश दिया। सोमवार की सुबह हिंसा के नए मामलों में छह लोग मारे गए, जब हजारों प्रदर्शनकारी ‘लॉन्ग मार्च टू ढाका’ के लिए एकत्र हुए थे।
बंगाली भाषा के प्रमुख समाचार पत्र ‘प्रोथोम आलो’ की खबर के अनुसार रविवार को हुई झड़पों में 14 पुलिसकर्मियों सहित कम से कम 101 लोग मारे गए। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर तुर्क ने देश के राजनीतिक नेतृत्व और सुरक्षा बलों से जीवन के अधिकार और शांतिपूर्ण सभा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अपने दायित्वों का पालन करने को कहा।