नई दिल्ली। शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ की बैठक में भारत ने मेजबान पाकिस्तान और चीन दोनों को दो टूक संदेश दिया है। भारत ने पाकिस्तान का नाम लिए बगैर कहा कि आतंकवाद और व्यापार दोनों साथ साथ नहीं चल सकते हैं। एससीओ बैठक में शामिल हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन का भी नाम नहीं लिया लेकिन कहा कि सभी देशों को पड़ोसी देशों की सीमा का सम्मान करना चाहिए।
इतना ही नहीं भारत ने एक बार फिर चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव यानी बीआरआई प्रोजेक्ट को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। भारत का पहले भी इस प्रोजेक्ट को लेकर यही स्टैंड रहा है। इस बार भी भारत ने इसका विरोध किया। जयशंकर ने बिना इसका नाम लिए कहा कि इस तरह की परियोजनाओं से देशों की संप्रभुता प्रभावित होती है। उन्होंने ऐसी परियोजनाओं की वजह से कर्ज बढ़ने की भी बात कही। भारत के अलावा एससीओ के सभी देशों जैसे रूस, बेलारूस, ईरान, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, पाकिस्तान और उज्बेकिस्तान ने इस परियोजना का समर्थन किया।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस्लामाबाद में शंघाई सहयोग संगठन की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि आतंकवाद और व्यापार एक साथ नहीं चल सकते। उन्होंने पाकिस्तान और चीन का नाम लिए बिना कहा कि सभी देशों को एक दूसरे की सीमाओं का सम्मान करने की जरूरत है। विदेश मंत्री ने कहा कि अगर एससीओ के सदस्य देशों के बीच दोस्ती में कमी आई है और पड़ोसी से संबंध बिगड़े हैं तो इस पर विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा- अगर हमारे बीच भरोसे में कमी आई है तो हमें अपने अंदर झांकने और इसकी वजह समझने की जरूरत है।
इससे पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने एससीओ बैठक की शुरुआत करते हुए कहा था कि पाकिस्तान शांति, सुरक्षा और आर्थिक तरक्की चाहता है। उन्होंने चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का समर्थन नहीं करने के लिए परोक्ष रूप से भारत पर निशाना साधा और कहा कि इस तरह की बड़ी परियोजनाओं को संकीर्ण राजनीतिक नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने एक तरह से भारत से इसका समर्थन करने की अपील की लेकिन भारत ने इस पर ध्यान नहीं दिया।