नई दिल्ली। देश के 51वें चीफ जस्टिस के तौर पर जस्टिस संजीव खन्ना सोमवार, 11 नवंबर को कार्यभार संभालेंगे। वे चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की जगह लेंगे, जो नौ नवंबर को रिटायर हुए। जस्टिस संजीव खन्ना भारत के न्यायिक इतिहास में सर्वाधिक सम्मानित और महान न्यायमूर्तियों में से एक जस्टिस हंसराज खन्ना के भतीजे हैं। जस्टिस संजीव खन्ना के पिता देवराज खन्ना भी दिल्ली हाई कोर्ट के जज रहे हैं।
जस्टिस संजीव खन्ना के चाचा जस्टिस हंसराज खन्ना ने इमरजेंसी के समय मौलिक अधिकारों को समाप्त करने का विरोध किया था और कहा था कि जीवन का अधिकार संविधान से बहुत पहले का है इसलिए इसे किसी भी कानूनी प्रावधान से छीना नहीं जा सकता है। एडीएम जबलपुर या हेबियस कॉर्पस केस में पांच जजों की बेंच में वे इकलौते जज थे, जिन्होंने सरकार के खिलाफ फैसला लिखा था। इससे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी नाराज हुई थीं और जस्टिस हंसराज खन्ना को चीफ जस्टिस नहीं बनाया था। उनकी जगह जूनियर जस्टिस एमएच बेग को चीफ जस्टिस बनाया गया, जिसके विरोध में जस्टिस खन्ना ने इस्तीफा दे दिया था।
जस्टिस संजीव खन्ना अपने चाचा से प्रभावित थे, इसलिए उन्होंने 1983 में दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस लॉ सेंटर से एलएलबी की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट से वकालत शुरू की। फिर दिल्ली सरकार के इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और दीवानी मामलों के लिए स्टैंडिंग काउंसिल भी रहे। साल 2005 में जस्टिस खन्ना दिल्ली हाई कोर्ट के जज बने। 13 साल तक दिल्ली हाई कोर्ट के जज रहने के बाद 2019 में उनका प्रमोशन सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में हुआ। हालांकि उस समय वे वरिष्ठता में 33वें स्थान पर थे परंतु तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में कॉलेजियम ने उनके नाम की सिफारिश की थी।