नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन की जंग में रूस की ओर से लड़ते हुए 12 भारतीयों की मौत हो चुकी है। नौकरी देने के नाम पर झांसा देकर दलालों ने बड़ी संख्या में भारतीय नौजवानों को शारजाह के रास्ते रूस भेजा है, जहां रूस ने उनको जंग में झोंक दिया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि रूस की ओर से लड़ते हुए भारतीय नागरिक मारे गए हैं, जबकि 16 लोग अब भी लापता हैं।
रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को कहा, ‘अब तक 126 भारतीय नागरिकों के रूसी सेना में शामिल होने के मामले सामने आए हैं। इनमें से 96 लोग भारत लौट आए। रूस में अभी भी 18 भारतीय नागरिक फंसे हुए हैं, जिनमें से 16 की कोई जानकारी नहीं मिल रही है। हम इनकी स्वदेश वापसी के लिए काम कर रहे हैं’। एक रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ से नौ युवाओं को रोजगार देने के नाम पर दलालों ने रूस भेजा। गौरतलब है कि रूस और यूक्रेन के बीच 24 फरवरी 2022 से युद्ध चल रहा है। इस दौरान रूसी सेना पर आरोप लगे कि उसने युद्ध में भाड़े के लोगों को और दूसरे देशों के कई लोगों को जबरन भेज दिया है। इनमें कई भारतीय भी शामिल थे। ये नौकरी की तलाश में रूस गए थे, लेकिन वहां फंस गए।
केरल के त्रिशूर के रहने वाले 32 साल के विनिल बाबू के निधन की खबर के बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा, ‘बिनिल बाबू की मौत बेहद दुखद है। हमने उनके परिवार से बात की है। हम रूसी अधिकारियों के साथ संपर्क में है। हम जल्दी से जल्दी बिनिल बाबू के शव को लाने की कोशिश कर रहे हैं’। बिनिल बाबू केरल के त्रिशूर जिले के वडक्कनचेरी के रहने वाले थे। वे कई महीने से वापस भारत लौटने के लिए गुहार लगा रहे थे।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जायसवाल ने कहा कि एक और भारतीय जैन टी कूरियन घायल हुए हैं। वे बिनिल के रिश्तेदार हैं। फिलहाल उनका इलाज चल रहा है। भारतीय दूतावास उनके संपर्क में हैं। उनका स्वास्थ्य बेहतर होते ही उन्हें वापस भारत लाए जाने की प्रक्रिया शुरू होगी। जायसवाल ने कहा कि भारत ने रूस के सामने इस मामले को जोरदार तरीके से उठाया है और रूसी सेना से सभी भारतीयों की जल्दी से जल्दी छोड़ने की अपनी मांग दोहराई है। बिनील और कुरियन नौकरी की तलाश में रूस गए थे।
इस बीच भारतीयों को धोखे से रूस और यूक्रेन जंग में भेजने के मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने पिछले साल 2024 के अप्रैल में चार लोगों को गिरफ्तार किया था। इनमें से तीन लोग भारत के थे, जबकि एक रूस के रक्षा मंत्रालय में काम करने वाला ट्रांसलेटर था। ये सभी लोग एक नेटवर्क का हिस्सा थे, जिसमें सोशल मीडिया के जरिए भारतीय को नौकरी और अच्छी सैलरी का लालच देकर फंसाया जाता है।