वाशिंगटन। अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने यूनिवर्सिटी एडमिशन में रेस यानी नस्ल और जाति के आधार पर मिलने वाले आरक्षण की व्यवस्था को समाप्त कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट में 9 जजों की बेंच ने ये फैसला सुनाया। अमेरिका में अफ्रीकी-अमेरिकियों और अल्पसंख्यकों को कॉलेज एडमिशन में आरक्षण देने का नियम है। इसे अफर्मेटिव एक्शन यानी सकारात्मक पक्षपात कहा जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे समाप्त कर दिया है। राष्ट्रपति जो बाइडेन और उप राष्ट्रपति कमला हैरिस ने इस फैसले से असहमति जताई है, जबकि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसका स्वागत किया है।
बहरहाल, गुरुवार को एक्टिविस्ट ग्रुप स्टूडेंट्स फॉर फेयर एडमिशंस की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को यह फैसला सुनाया। इस ग्रुप ने उच्च शिक्षा के सबसे पुराने प्राइवेट और सरकारी संस्थानों और खास तौर पर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और उत्तरी कैरोलिना यूनिवर्सिटी, यूएनसी की एडमिशन पॉलिसी के खिलाफ दो याचिकाएं लगाई थीं। उन्होंने तर्क दिया था कि ये नीति व्हाइट और एशियन अमेरिकन लोगों के साथ भेदभाव है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा- अफर्मेटिव एक्शन अमेरिका के संविधान के खिलाफ है जो सभी नागरिकों को बराबरी का हक देता है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर राष्ट्रपति बाइडेन ने आपत्ति जताई है। न्यूज एजेंसी एएफपी के मुताबिक, बाइडेन ने कहा है- मैं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से असहमत हूं। अमेरिका ने दशकों से दुनिया के सामने एक मिसाल पेश की है। ये फैसला उस मिसाल को खत्म कर देगा। उन्होंने कहा कि इस फैसले को आखिरी शब्द नहीं माना जाता सकता है। अमेरिका में अब भी भेदभाव बरकरार है। ये फैसला इस कड़वी सच्चाई को नहीं बदल सकता है। दूसरी ओर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा- ये शानदार दिन है। जो लोग देश के विकास के लिए मेहनत कर रहे हैं उन्हें आखिरकार इसका फल मिला है।