नई दिल्ली। संविधान के 75 साल पूरे होने के मौके पर संसद के शीतकालीन सत्र में संविधान पर चर्चा शुरू हुई है। लोकसभा में दो दिन की चर्चा शुक्रवार को शुरू हुई और राज्यसभा में सोमवार को होगी। लोकसभा में चर्चा की शुरुआत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की तो विपक्ष की ओर से प्रियंका गांधी वाड्रा ने उनकी हर बात का जवाब दिया। प्रियंका ने अपने भाषण में भाजपा को इमरजेंसी से सीख लेने की सलाह भी दी। कुल मिला कर संविधान पर चर्चा का पहला दिन नेहरू, इमरजेंसी, अनुच्छेद 356 के दुरुपयोग और एक दूसरे की सरकारों द्वारा संविधान का उल्लंघन करने के जैसे मुद्दों पर आरोप प्रत्यारोप में बीता।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक घंटे 10 मिनट के भाषण में कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा- आज कांग्रेस और विपक्ष के लोग संविधान की प्रति जेब में लेकर घुम रहे हैं। पीढ़ियों से उन्होंने संविधान को अपनी जेब में ही रखा। नेहरू, इंदिरा, राजीव, मनमोहन सिंह के समय संवैधानिक संशोधन किए गए। ये विरोधियों को चुप कराने के लिए किए गए। कांग्रेस की तरह हमने कभी संविधान को राजनीतिक हित साधने का जरिया नहीं बनाया। इंदिरा गांधी पर निशाना साधते हुए राजनाथ सिंह ने कहा- 1975 में तीन सीनियर जजों को सुपरसीड करने से राष्ट्रपति वीवी गिरि सहमत नहीं थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री ने जिद के चलते ऐसा किया। इंदिरा गांधी ने 356 का दुरूपयोग करके चुनी हुई सरकारों को गिराने का काम किया।
विपक्ष के उठाए मुद्दों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा- जातिगत जनगणना अगर आप कराएंगे तो किसे कितना आरक्षण देंगे ये भी बताइए। आप ब्लू प्रिंट लेकर आइए। मैं कहता हूं कि संसद में इस पर भी चर्चा हो। उनहोंने कहा- हमने आपातकाल के काले दिनों में भी संविधान को चोट पहुंचाने की हर कोशिश का विरोध किया। 18 महीने मैं भी जेल में रहा। मेरी मां की मृत्यु होने पर मुखाग्नि देने के लिए पेरोल भी नहीं दी गई।
राजनाथ सिंह के भाषण के बाद विपक्ष की ओर से प्रियंका गांधी वाड्रा ने भाषण दिया। लोकसभा में यह उनका पहला भाषण था। करीब आधे घंटे में उन्होंने हर बयान का जवाब दिया। प्रियंका ने कहा- रक्षा मंत्री संविधान निर्माताओं में नेहरू जी का नाम नहीं लेते। जहां जरूरत होती है, वहां जरूर लेते हैं। पहले क्या हुआ, उसे अब बताने का क्या मतलब है। अभी सरकार आपकी है, आपने क्या किया, जनता को ये बताइए। प्रियंका ने इमरजेंसी की बात पर भाजपा को सलाह दी कि उन्हें भी इससे सीख लेना चाहिए और अपनी गलतियों के लिए माफी मांगनी चाहिए।
प्रियंका ने कहा- प्रधानमंत्री संसद में संविधान की किताब को माथे से लगाते हैं। संभल, हाथरस, मणिपुर हिंसा पर जब न्याय की बात उठती है तो उनके माथे पर शिकन तक नहीं आती। राजा भेष बदलते हैं, लेकिन उनमें आलोचना सुनने की हिम्मत नहीं है। प्रियंका ने भाजपा पर कांग्रेस की चुनी हुई सरकारों को अस्थिर करने और गिराने का आरोप लगाया। राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रियंका के इस पहले भाषण की जम कर तारीफ की। राहुल ने कहा कि प्रियंका का भाषण लोकसभा में दिए उनके भाषण से ज्यादा अच्छा था।